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कांग्रेस के लिए झटका, रीता बहुगुणा के भाजपा में जाने की अटकलें तेज

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि पार्टी विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज होती जा रही हैं।
कांग्रेस के लिए झटका, रीता बहुगुणा के भाजपा में जाने की अटकलें तेज

रीता बहुगुणा जोशी के भाई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रृी विजय बहुगुणा कुछ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अटकलें इन खबरों के बाद तेज हो गईं कि हाल ही में रीता की इस संबंध में भाजपा नेतृत्व के साथ बैठक हुई है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है और न ही ऐसी किसी खबर की पुष्टि की गई। और इन अटकलों पर रीता बहुगुणा की भी प्रतिक्रिया नहीं आई है। कांग्रेस नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन कुछ अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि ऐसा कुछ हुआ तो पार्टी को भारी झटका लगेगा क्योंकि कांग्रेस राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाने वाले उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में खुद को पुनर्जीवित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। ऐसे में अगर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले रीता कांग्रेस छोड गईं तो पार्टी के लिए भारी झटका होगा। रीता लखनऊ कैंट क्षेत्र से विधायक हैं। बताया जाता है कि 67 वर्षीय रीता इस बात से नाराज हैं कि उत्तर प्रदेश से बाहर की नेता शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। उनका मानना है कि अगर ब्राह्मण चेहरा ही आगे करना था तो वह शीला से बेहतर हैं।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि रीता ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक से इंकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि रीता अस्वस्थ हैं और नई दिल्ली में हैं। संपर्क करने पर कांग्रेस नेता द्विजेन्द्र तिवारी ने बताया कि उन्हें यकीन है कि रीता बहुगुणा जोशी पार्टी हित में फैसला करेंगी और स्थिति जल्द साफ हो जाएगी। राज्य में कांग्रेस विधायकों को छोड़कर सभी पार्टियों के विधायकों का विरोधी खेमों में जाने का सिलसिला चल रहा है। रीता के भाई विजय बहुगुणा के भाजपा में जाने के बाद से ही रीता पार्टी अलग-थलग महसूस कर रही थीं। कांग्रेस आलाकमान ने रीता को जिम्मेदारी दी थी कि वह अपने भाई विजय को मनाएं और कहें कि वह भाजपा में नहीं जाएं और सम्मान के साथ घर वापस लौटें। कांग्रेस को उम्मीद थी कि रीता भाई को मनाने में सफल होंगी। प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 403 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस केवल 28 सीटें ही जीत पाई थी। गांधी परिवार का गढ़ समझे जाने वाले रायबरेली और अमेठी में भी पार्टी दस विधानसभा सीटों में से केवल दो पर ही जीत दर्ज कर पाई थी।

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