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इस डीएम ने चुनाव पर लिया अनोखा चैलेंज, क्या आज हासिल कर पाएंगे टारगेट

भारत में जैसे-जैसे साक्षरता बढ़ रही है, वैसे-वैसे मतदान में भागीदारी भी बढ़ रही है। लेकिन 70 साल के...
इस डीएम ने चुनाव पर लिया अनोखा चैलेंज, क्या आज हासिल कर पाएंगे टारगेट

भारत में जैसे-जैसे साक्षरता बढ़ रही है, वैसे-वैसे मतदान में भागीदारी भी बढ़ रही है। लेकिन 70 साल के बावजूद अभी भी औसतन 55-66 फीसदी मतदान ही देश में हो रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के एक जिलाधिकारी ने अनोखा चैलेंज लिया है। उन्होंने इस बार जिले में 90 फीसदी मतदान कराने का लक्ष्य रखा है। हम बांदा जिले के जिलाधिकारी हीरा लाल की बात कर रहे हैं। पिछले दो महीने से ऐसा हो सके इसके लिए वह लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। अब देखना है कि छह मई को हो रहे मतदान में वह अपने लक्ष्य के कितने करीब पहुंचते हैं। पिछली बार जिले में 53 फीसदी के करीब मतदान हुआ था। जिले में करीब 13 लाख मतदाता हैं।

कैसे आया आइडिया

हीरा लाल ने आउटलुक को बताया कि 2015 के पंचायत चुनावों में दो ग्राम पंचायतों में 90 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था। वहीं से मेरे मन में यह आइडिया क्लिक किया कि जब दो ग्राम पंचायत में 90 फीसदी से ज्यादा मतदान हो सकता है, तो पूरे जिले में क्यों नहीं हो सकता है। इसी लक्ष्य को पाने के लिए पिछले दो महीने से पूरा जिला लगा हुआ है।

क्या थे चैलेंज

हीरा लाल के अनुसार सबसे पहले यह जानना जरूरी था कि क्या ऐसा संभव हो सकता है? इसी के मद्देनजर मैंने जिले स्तर पर सचिव, सुपरवाइजर, बीएलओ सहित दूसरी सभी मशीनरी के साथ बैठक की। इसमें यह बात साफ थी कि ऐसा करना संभव है। इसी के तहत हमने रणनीति बनाई और “90 फीसदी से ज्यादा मतदान” का अभियान शुरू किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम से माहौल बनाया

शुरुआती जगारूकता के लिए सबसे पहले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को माध्यम बनाया गया, जिसमें लोगों के पास जाकर उन्‍हें मतदान के ‌लिए प्रे‌रित करने के ‌लिए नृत्य, नाटक, गीत आदि का सहारा लिया गया है। इसके अलावा दिन में हर रोज चार बैठक जिलाधिकारी स्तर पर लेने की शुरुआत की गई। हीरालाल के अनुसार, इसके अलावा हमने इसे “बांदा की शान” से जोड़ा। सभी जगहों पर यह संदेश दिया गया कि अभी तक बांदा की पहचान एक पिछड़े जिले के रूप में है। लेकिन अगर 90 फीसदी मतदान हो जाता है, तो यह पूरे बांदा के लिए शान की बात हो जाएगी।

प्रवासी लोगों को वापस बुलाया

हीरालाल के अनुसार 90 फीसदी का लक्ष्य पाने के लिए न केवल जिले को लोगों को मतदान के लिए जागरूक करना था, बल्कि जो लोग जिला छोड़कर दूसरे जगहों पर काम के लिए चले गए, उन्हें मतदान के लिए वापस बुलाना था। इसी को देखते हुए ठेकेदारों और दूसरे संपर्क साधनों से लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया गया। अभी तक 40 फीसदी लोग वापस आ गए हैं। इसके अलावा कर्मचारियों के स्तर पर 8,000 बूथ को गोद भी लिया गया है, जो पिछले एक महीने से लगातार मतदाताओं के संपर्क में हैं और उन्हें वोट देने के लिए जागरूक कर रहे हैं। साथ ही इंजीनियरिंग, आइटीआइ और विद्यालय स्तर पर 2,000 बच्चों को भी जोड़ा गया है, जिन्हें इस कार्य के लिए प्रशंसा-पत्र भी दिए जा रहे हैं। साथ ही महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाने के लिए जिले में सखी समूह भी बनाए गए हैं।

दिख रहा है असर

इस अभियान का असर भी दिखने लगा है। अभी तक बांदा में कुछ क्षेत्रों में हुए 29 अप्रैल को मतदान में दो बूथों पर 90 फीसदी से ज्यादा मतदान हो चुका है। जबकि छह मई को रहे मतदान में 11 बजे तक कई बूथों पर 40 फीसदी से लेकर 71 फीसदी तक मतदान हो चुका है। ऐसे में शाम तक मतदान प्रतिशत में इजाफा होने की पूरी संभावना है। भले ही हीरालाल 90 फीसदी का लक्ष्य नहीं हासिल कर पाएं, लेकिन उनके इस प्रयास से एक बात तो तय है कि बांदा में मतदान प्रतिशत में पिछली बार के मुकाबले अच्छा खासा इजाफा होने वाला है, जो लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत है।

 

 

 

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