उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध उच्च न्यायालय की ओर से रिश्वत मामले में एफआईआर दर्ज कर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आरोपों की जांच के आदेश दिये जाने के बाद विपक्षी कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद), आम आदमी पार्टी (आप) और जन संघर्ष मोर्चा ने उनसे (श्री त्रिवेंद्र से) त्यागपत्र की मांग तेज कर दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने बुधवार को यहां संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। उन्होंने इस मामले में राज्यपाल से समय ले लिये जाने की भी बात कही।
आप के प्रदेश प्रवक्ता रवींद्र आनन्द ने बयान जारी कर मुख्यमंत्री से त्यागपत्र की मांग करते हुये कहा कि जीरो टॉलरेंस के नाम पर त्रिवेंद्र सरकार ने आम जनता को छलने का ही काम किया है। यही कारण है कि अधिजारी मंत्रियों की बात सुनने को भी तैयार नहीं होते। उन्होंने कहा कि इसका उदाहरण समय समय पर कैबिनेट मंत्रियों द्वारा खुलेआम इसे स्वीकार करना है।
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने विकासनगर में कहा कि उच्च न्यायालय की ओर से श्री त्रिवेंद्र के दलाली रिश्वत प्रकरण में सीबीआई जांच के निर्देश देने के बाद त्रिवेंद्र को पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि राजभवन को न्यायालय की भावनाओं का सम्मान करते हुए इनको मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर देना चाहिए | नेगी ने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र ने झारखंड प्रभारी रहते हुए एक भाजपा नेता से पच्चीस लाख रुपए रिश्वत दलाली लेकर गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने का सौदा तय किया था, जिसकी सारी रकम श्री त्रिवेंद्र ने अपने कुटुंब के लोगों के खाते में ट्रांसफर करवाई |
उल्लेखनीय है कि ट्रांसफर संबंधी लेन-देन व बैंकों में जमा कराई गई धनराशि की रसीदें भी सार्वजनिक हुई थी। उक्त मामले में आरोप है कि रिश्वत की रकम लेने के बावजूद त्रिवेंद्र ने वादा पूरा नहीं किया। उक्त वादा खिलाफी से नाराज होकर रांची के एक भाजपा नेता ने सारी बातें मीडिया में सार्वजनिक कर दी थी व उक्त दलाली वह अन्य भ्रष्टाचार के स्टिंग एक समाचार चैनल के सीईओ द्वारा सार्वजनिक किए गए तथा इन खबरों को कुछ समाचार पत्रों के संपादकों ने भी प्रसारित किया, जिससे बौखलाए त्रिवेंद्र ने अपने भाई के द्वारा नेहरू कॉलोनी थाने में तहरीर देकर राजद्रोह आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया।