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उत्तराखंड: हरक रावत बर्खास्त, बागी विधायक गुड़गांव में

राजनीतिक संकट का सामना कर रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को आज उस समय बड़ी राहत मिली जब राज्यपाल कृष्णकांत पाल ने उन्हें 28 मार्च तक विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित करने को कहा।
उत्तराखंड: हरक रावत बर्खास्त, बागी विधायक गुड़गांव में

इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में कृषि मंत्री हरक सिंह रावत को इस आधार पर मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया कि विधानसभा में उनका आचरण असंसदीय था। हरक सिंह रावत ने बागी विधायकों का अगुवाई की थी। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि कैबिनेट ने हरक सिंह रावत को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।

कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी प्रवक्ता रीता बहुगुणा जोशी से कहा है कि वह बागी रूख अपनाने वाले अपने बड़े भाई विजय बहुगुणा को मनाएं और सम्मान के साथ वापसी करने के लिए कहें। विजय बहुगुणा ने भाजपा का हाथ थाम लिया है। इस बीच, उत्तराखंड भाजपा के विधायक कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ गुड़गांव के एक होटल में ठहरे हैं और आगे की रणनीति के लिए भाजपा के नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकते हैं।

राज्यपाल का बहुमत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है। उधर रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं।

राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है। भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसके पास 35 विधायकों का समर्थन है। वहीं मुख्यमंत्री रावत का कहना है कि उनकी सरकार अब भी बहुमत में है क्योंकि किसी भी तथाकथित बागी विधायक ने न तो पार्टी और न ही कांग्रेस विधानमंडल दल की सदस्यता छोड़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि असंतुष्ट विधायकों में पांच उनके संपर्क में हैं।

कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपने-अपने दावे किए जाने के बीच विधानसभाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि दलबदल कानून मौजूद है और जो कोई इसके उल्लंघन के दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, विधानसभा में जब विनियोग विधेयक पास हुआ, उस समय सभी कांग्रेस विधायकों ने सरकार के साथ मतदान किया और किसी ने विधेयक को चुनौती नहीं दी। यहां तक कि भाजपा ने भी ध्वनिमत को स्वीकार किया।

उनके खिलाफ भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव नोटिस के बारे में पूछे जाने पर कुंजवाल ने कहा, हम देखेंगे कि यह विधानसभा में कब आता है। विधानसभा के सदस्य इस पर चर्चा करेंगे और फैसला करेंगे कि अविश्वास संबंधी नोटिस वैध है या नहीं। इस बीच भाजपा पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे राजनीतिक सत्ता और धन का लोभ दे कर गैर-भाजपा सरकारों को अस्थिर करना चाहते हैं।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, मोदी और शाह की जोड़ी इस देश में निर्वाचित सरकारों को जबरन हटाने के लिए बदनाम है। एक नापाक साजिश के तहत चुनी हुई सरकारों को अस्थिर किया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड है। देहरादून में, भाजपा ने रावत सरकार को हटाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं और उसने बहुमत होने का दावा करते हुए कहा कि मौजूदा कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है और उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए।

भाजपा के राज्य प्रभारी श्याम जाजू ने पीटीआई-भाषा से कहा, हरीश रावत सरकार ने बहुमत खो दिया है। बागी कांग्रेस विधायकों के समर्थन से उत्तराखंड में नई सरकार बनाने के लिए आज भाजपा के पास जरूरी पर्याप्त संख्या है।

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