फ्लोर टेस्ट से ठीक एक दिन पहले हाईकोर्ट का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है। शनिवार को हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने उत्तराखंड में 10 मई यानी मंगलवार को होने वाले फ़्लोर टेस्ट में बाग़ी विधायकों को वोटिंग से दूर रहने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद बागी विधायकों के साथ मिलकर राज्य में सत्ता गठन का सपना देख रही भाजपा की सियासी चाल को चोट लगी है। शनिवार को बाग़ी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील सी.ए. सुंदरम और दिनेश द्विवेदी ने पैरवी की जबकि स्पीकर और शिकायतकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल, उनके बेटे अमित सिब्बल जैसे वकील दलील देने में जुटे थे। 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की बीजेपी की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और 27 मार्च को वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। ऐसे संकट के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सीबीआई ने स्टिंग मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने का समन भी जारी किया। इस स्टिंग के कथित तौर पर उन्हें एक पत्रकार से बागी विधायकों का फिर से समर्थन हासिल करने के लिए डील करते हुए दिखाया गया था।
उत्तराखंड में भाजपा को झटका, कांग्रेस के 9 बागी विधायक अयोग्य
उत्तराखंड में सत्ता गठन का सपना संजो रही भाजपा को करारा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की याचिका खारिज करते हुए उन्हें अयोग्य करार दिया है। हाई कोर्ट के ऐसे रुख के बाद बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
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