भाकपा के 92 वर्षीय वरिष्ठ नेता बर्धन का दिल्ली के जीबी अस्पताल में निधन हो गया। इसकी पुष्टी करते हुए जीबी पंत अस्पताल में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर और निदेशक डॉक्टर विनोद पुरी ने कहा कि बर्धन का रात आठ बजकर 20 मिनट पर निधन हो गया। उन्हें मस्तिष्क की धमनी में अवरोध के कारण मस्तिष्काघात हुआ था जिसके बाद वह कोमा में थे। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने जानकारी दी कि वरिष्ठ वामपंथी नेता का निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार रात साढ़े आठ बजे अंतिम सांसे लीं। राजा ने बताया कि सोमवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा।
बर्धन दिल्ली स्थित भाकपा मुख्यालय में रहते थे। जहां पिछले 7 दिसंबर को सवेरे आठ बजे के आसपास उन्हें काफी बेचैनी महसूस हुई जिसके बाद वह बेहोश हो गए थे। उन्हें तत्काल मध्य दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल पहुंचाया गया। भाकपा नेता अतुल अंजान ने बर्धन को पक्षाघात होने और उनकी हालत गंभीर होने की जानकारी दी थी। भाकपा के पूर्व महासचिव को अस्पताल के आपातकालीन विंग में रखा गया था और वरिष्ठ चिकित्सक उनकी देखरेख कर रहे थे। शुक्रवार को उनकी हालत में कुछ सुधार होने पर उनका वेंटीलेटर हटा दिया गया था और वह सामान्य रूप से सांस ले रहे थे। लेकिन शनिवार को उनके रक्तचाप का स्तर बहुत नीचे गिर गया और उनकी हालत बहुत नाजुक हो गई थी।अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक लगातार उनकी स्थिति पर नजर रखे हुए थे।
बर्धन 1996 से लगातार चार बार भाकपा के महासचिव रहे। अर्धेंदु भूषण बर्धन मजदूर संगठन आंदोलन और महाराष्ट्र में वामपंथी राजनीति का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। बर्धन की पत्नी का वर्ष 1986 में निधन हो गया था। वह नागपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थी। बर्धन के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। बर्धन ने मजदूर संघ आंदोलन और महाराष्ट्र में वामपंथी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1957 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव जीता था। बाद में वह अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस के महासचिव और अध्यक्ष भी बने। यह संगठन भारत का सबसे पुराना मजदूर संघ है। बर्धन 1990 के दशक में दिल्ली की राजनीति में आए और भाकपा के उप महासचिव बने। वह वर्ष 1996 में इंद्रजीत गुप्ता के बाद पार्टी के महासचिव भी बने और लगातार चार बार पार्टी महासचिव के पद पर रहे।