चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर के लिए कांग्रेस एक कठिन पार्टी साबित हो रही है। कांग्रेस ने पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रबंधन की कमान प्रशांत किशोर को सौंपी है लेकिन दिक्कत उसके क्रियान्वयन में हो रही है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि प्रशांत किशोर का काम चुनाव का प्रबंधन करना है ना कि नेताओं को दिशा-निर्देश देने का। साथ ही वे उम्मीदवारों के चयन में उनकी भूमिका नहीं चाहते।
आउटलुक से बातचीत के दौरान कांग्रेस के कुशीनगर से सांसद आरपीएन सिंह ने बताया कि प्रशांत किशोर का काम चुनावों के लिए उम्मीदवार तय करना नहीं है। उनका काम चुनावी रणनीति बनाना, जमीन पर प्रचार को सही ढंग से चलाने की रणनीति बनाना है। हालांकि प्रशांत किशोर के आने से पार्टी में नई जान आई है और गतिविधियां तेज हुई हैं। आरपीएन सिंह चूंकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बहुत करीब माने जाते हैं, लिहाजा ऐसा लगता है कि उन्हें कांग्रेस के भीतर पनप रहे आक्रोश को शांत करने का काम दिया गया है।
हालांकि उत्तर प्रदेश और पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व में प्रशांत किशोर और उनकी टीम के कामकाज को लेकर सवाल उठ रहे हैं। खासतौर से बनारस में जिस तरह से प्रशांत किशोर ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधे-सीधे कहा कि अगर वह उनके निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो उहें टिकट नहीं मिलेगा। उनके इस बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस में भी कड़ी प्रतिक्रिया हुई।
कमोबेश ऐसे ही हाल पंजाब में हैं। वहां भी स्थानीय स्तर पर नेताओं के आक्रोश को शांत करने की कोशिश हो रही है। पंजाब के प्रभारी शकील अहमद को कहना पड़ा कि प्रशांत किशोर की भूमिका घरों तक प्रचार को संचालित करने से ज्यादा नहीं समझी जानी चाहिए। उम्मीदवारों का चयन करने की जो पार्टी की प्रक्रिया है, वही रहेगी। यही बात आरपीएन सिंह ने भी कही कि उम्मीदवारों का चयन करना, मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करना पार्टी नेतृत्व का जिम्मा है।