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“मोदी ने गरीबों का हक छीना, हम वापस दिलाएंगे”

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमुद्रीकरण से...
“मोदी ने गरीबों का हक छीना, हम वापस दिलाएंगे”

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमुद्रीकरण से नुकसान पहुंचाया ‘न्याय’ योजना उसकी भरपाई करेगी। गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी के ‘गरीबी हटाओ’ कार्यक्रम ने भाजपा को पूरी तरह से उधेड़बुन में डाल दिया है। 17वीं लोकसभा चुनाव से पहले पीटीआई को दिए खास इंटरव्यू में गांधी ने कहा कि ‘न्याय’ योजना का दो लक्ष्य है। पहला, देश में 20 फीसदी सबसे गरीब आबादी को आर्थिक मदद पहुंचाना और दूसरा विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा उसकी भरपाई करना।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “प्रधानमंत्री ने पिछले पांच साल में विमुद्रीकरण जैसी विफल नीतियों और गलत तरीके से लागू की गई गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) के जरिए अर्थव्यवस्था से सारा पैसा निकाल दिया। असंगठित क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना का नाम ‘न्याय’ रखने की एक वजह है। उन्होंने कहा, “हमने इस योजना का नाम ‘न्याय’ रखा है, क्योंकि पिछले पांच साल में नरेंद्र मोदी ने गरीबों का हक छीना है और उन्हें कुछ नहीं दिया।”

गांधी ने कहा, “मोदी ने किसानों का हक छीना, छोटे और मंझोले उद्योगपतियों से छीना, बेरोजगार युवाओं से छीना। उन्होंने देश की मां और बहनों की बचत पर चूना लगाया। मोदी जी ने देश के वंचित तबकों से जो छीना हम उसे वापस करना चाहते हैं।” ‘न्याय’ (न्यूनतम आय योजना) को “गेम चेंजर” और गरीबी पर आखिरी जंग करार देते हुए गांधी ने कहा कि यह योजना विमुद्रीकरण की तरह हड़बड़ी और भाजपा के जीएसटी की तरह लागू नहीं की जाएगी।

‘न्याय’ को लेकर कुछ अर्थशास्त्रियों ने आपत्ति जाहिर की कि इससे राजस्व पर सालाना 3.6 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। गांधी से जब पूछा गया कि इससे देश का राजस्व घाटा बढ़ेगा, तो उन्होंने कहा कि सही नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकसभा के चुनावी घोषणापत्र में इस योजना को शामिल करने से पहले उनकी पार्टी ने बड़ी संख्या में अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया। कई पेपर्स और अन्य शोध पत्रों का इस विषय पर अध्ययन किया। इसे लोकलुभावन योजना बताने पर गांधी ने कहा, “यह लोकलुभावन वादा नहीं है, जैसा कि कुछ आलोचक कह रहे हैं। अगर मोदी सरकार 15 लोगों को 3.5 लाख करोड़ रुपये देती है, तो उसे लोकलुभावन नहीं माना जाता, तो गरीबों को लाभ पहुंचाने की योजना पर सवाल क्यों।”

उन्होंने कहा कि हम इसे जीएसटी की तरह लागू नहीं करने वाले हैं। इसे लागू करने की प्रक्रिया में आने वाली खामियों को दूर करने के लिए पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या इसे सबसे पहले कांग्रेस शासित राज्यों में लागू किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ इस पर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा, “इसका फैसला विशेषज्ञ करेंगे। कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार के 10 साल के शासन में हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। हमारा लक्ष्य इसे पूरी तरह खत्म करना है।”

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