पश्चिम बंगाल में अब दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान बीते 27 मार्च को संपन्न हुआ। इसके साथ ही ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवैसी ने राज्य की राजनीति में अपने ऐलान के साथ गर्मियां बढ़ा दी। अब चंडीपुर में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निशाना साधते हुए कहा है कि 'हैदराबाद टीम' से सावधान रहना है। यहां बीजेपी का दूसरा चेहरा वोट मांगने के लिए आया है। जनता अपील करते हुए ममता ने कहा, “बाहरी लोगों का समर्थन न करें।” स्पष्ट है कि ममता ने सीधे तौर पर ओवैसी को टारगेट किया है क्योंकि, ओवैसी हैदराबाद से लोकसभा सांसद हैं।
ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल: ममता के फेर में फंस गए ओवैसी, क्या फेल हो गया प्लान
सीएम ममता बनर्जी ने आगे दावा करते हुए कहा कि हमारी सरकार फिर से आने पर यदि किसी किसान की मौत होती है तो दो लाख रुपये देंगे। हमारी सरकार में मई से घर-घर राशन पहुंचाया जाएगा। सभी मां-बहनों को 500-500 रुपये खर्च के लिए दिए जाएंगे। विधवाओं को पेशन के रूप में एक हजार रुपये की राशि हर महीने दी जाएगी। हम अनेक मेडिकल कॉलेज बनाएंगे लेकिन इसके लिए वोट देना होगा और टीएमसी की फिर से सरकार बनानी होगी।
ओवैसी ऐलान कर चुके हैं कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। लेकिन, अभी तक ये उन्होंने ऐलान नहीं किया है वो कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो वो तेरह सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। बंगाल की कुल 294 सीटों पर आठ चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण की 30 सीटों पर शनिवार को वोटिंग हो चुकी है। ओवैसी ने नूर महबूब आलम को सागरदीघी से चुनाव में उताने का ऐलान किया है जबकि असदुल शेख जंगीपुर विधानसभा क्षेत्रों से से टिकट देने की बात कही गई है। ओवैसी ने और अधिक उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का वादा किया अगले कुछ दिनों में किया है।
बंगाल में करीब 31 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक है। लेकिन, इस चुनाव में दो मुस्लिम चेहरे कुद पड़े हैं जो वोट के नजरिए से भाजपा की मदद और ममता को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बंगाल चुनाव में इस बार मुस्लिम धर्मगुरू अब्बास सिद्दीकी भी ताल ठोक रहे हैं वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी चुनाव लड़ने को लेकर ऐलान करने वाले हैं। सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) विधानसभा चुनावों में वाम-कांग्रेस गठबंधन का समर्थन कर रहा है।