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मिथुन के बदले सुर, चुनाव लड़ने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक पर बताए अपने इरादे

मार्च की सात तारीख को तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए फ़िल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भारतीय जनता...
मिथुन के बदले सुर, चुनाव लड़ने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक पर बताए अपने इरादे

मार्च की सात तारीख को तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए फ़िल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे। जिसके बाद उन्होंने खुद को ‘कोबरा’ कहा था। उसके बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी उन्हें भाजपा कोई बड़ी जिम्मेदारी या ममता के विकल्प के तौर पर मैदान में उतार सकती है। लेकिन, पार्टी ज्वाइन करने के बाद मिथुन कई मोर्चों पर अनाड़ी साबित होते दिखे। जिसके बाद भाजपा ने खुद को पीछे खींचते हुए मिथुन को सिर्फ प्रचार की कमान संभाली

भाजपा के नए नवेले होने के बाद मिथुन का बयान राजनीतिक पिच पर फिट नहीं बैठ रहा था। राजनीति में अनुभव की कमी उनके साक्षात्कारों में साफ दिखी। वे कई अहम मुद्दों पर जवाब देने से बचते रहे। यहां तक की भाजपा में क्यों गए, इसका भी विशेष कारण नहीं और सटीक जवाब नहीं दे पाएं। यहां तक कि मिथुन प्रधानमंत्री के उस दावे को भी नहीं समझा सके कि बंगाल को 'सोनार बांग्ला' कैसे बनाएंगे। जिसके बाद ऐसे में सवाल उठने लगें कि भाजपा जिस फायदे के लिए उन्हें लेकर आई है, क्या वह उसे दिला पाएंगे। इस पर टिप्पणी और तंज कसते हुए टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा था, "वे कोई आइकान नहीं हैं।"

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लेकिन, शुक्रवार को किए अपने रोड शो के बाद मिथुन के सुर बदलते दिख रहे हैं। वो राजनीति को धीरे-धीरे समझते दिख रहे हैं। उन्हें शायद अब ये पता चल गया है कि यहां हां या ना में जवाब नहीं चलता है। अभिनेता और बीजेपी नेता मिथुन चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले झाड़ग्राम में रोड शो किया। रोड शो में भारी भीड़ देखने के बाद मिथुन को बयान देने का और अपने पुराने अलाप को भुनाने का मौका मिल गया। क्योंकि, वो कई जगहों पर सीधे-सीधे विरोधियों पर निशाना साधने में चुकते दिखाई दे रहे थे। रोड शो के दौरान मिथुन ने कहा, “ये लोग यहां इसलिए आए हैं क्योंकि इनको बदलाव चाहिए। इतनी ज्यादा भीड़ का मतलब बहुत ज्यादा प्यार है।“

अब उन्होंने सीएम बनाए जाने को लेकर भी खुलकर बोल दिया है। न्यूज चैनल आज तक के कार्यक्रम सीधी बात में मिथुन ने कहा है कि यदि उन्हें पीएम मोदी सरीखे आलाकमान ये जिम्मेदारी सौंपती है तो वो पीछे नहीं हटेंगे। स्पष्ट है मिथुन के सुर सिर्फ तीन सप्ताह की राजनीति पिच पर बल्लेबाजी करने के बाद अब बदलते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन, देखना होगा की भाजपा उनपर भरोसा दिखाती हैं या नहीं। क्योंकि, उन्हें टिकट नहीं मिला है।

भाजपा ने मिथुन को भले ही टिकट नहीं दिया है, मगर उन्हें स्टार प्रचारक का दर्जा अवश्य दिया है। यही वजह है कि वह 30 मार्च को नंदीग्राम में पार्टी प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी के समर्थन में चुनावी रैली करेंगे। उस रोड शो में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे। इसी प्रकार मिथुन को अन्य चुनाव रैलियों की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। ऐसे में मिथुन इन चुनाव रैलियों के माध्यम ही अपने समर्थकों से रूबरू हो सकेंगे। बता दें, बंगालियों पर मिथुन का गहरा प्रभाव है। 71 वर्षीय मिथुन ने लंबे समय तक बॉलीवुड स्टार होने के अलावा, समानांतर फिल्मों और पॉप आधारित बी-ग्रेड की फिल्मों में अभिनय किया है। वे बंगाल में परोपकारी कार्यों के लिए सम्मान के नजर से देखे जाते हैं। थैलेसीमिया के खिलाफ जागरूकता और रक्त दान अभियान ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई है।

 

 

 

 

 

 

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