पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार के बीच बुधवार की रात तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम में घायल हो गईं। ममता ने आरोप लगाया है कि चार-पांच लोगों ने उनको धक्का मारा, जिसकी वजह से उनके पैरों में चोट आईं और वो जख्मी हो गईं। हालांकि, घटनास्थल पर मौजूद चशमदीदों का कुछ और कहना है। मौके पर मौजूद एक चश्मदीद ने बताया है, "जब सीएम यहां आईं थी, तो जनता उनके चारों ओर इकट्ठा हो गई थी। उस समय उनकी गर्दन और पैर में चोट लगी थी। उन्हें धक्का नहीं दिया गया था। कार धीरे-धीरे चल रही थी।" फिलहाल उनका इलाज कोलकाता में चल रहा है। लेकिन, अब एक बार फिर से टीएमसी के राज्य में उदय के दौरान हुए आंदोलन और हिंसा की बातें चर्चाओं का केंद्र बन गया है। किस तरह से सिंगूर आंदोलन टीएमसी के लिए सत्ता के लिए संजीवनी साबित हुआ था और करीब 34 साल से सत्ता में मौजूद वाम दलों को हटाने में सफलता हासिल की।
क्या ममता पर नंदीग्राम में कथित हमला सिंगूर आंदोलन की तरह फिर से टीएमसी को सीएम कुर्सी तक पहुंचाएगा। दरअसल, जमीन अधिग्रहण के खिलाफ सिंगूर आंदोलन 2006 में शुरू हुआ था। सत्ता के लिए संघर्ष कर रही ममता बनर्जी के लिए ये आंदोलन बड़ा मौका साबित हुआ। ममता ने इस बहाने मौजूदा वाम सरकार सीपीएम को निशाने पर लिया। वाम सरकार ने ही टाटा नैनो प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण करवाया था। आंदोलन दो साल तक चलता रहा। जिसके बाद 2008 में टाटा ने सिंगूर परियोजना रद्द कर दी और नैनो प्लांट गुजरात में शिफ्ट हो गया। ये आंदोलन वाम सरकार के पतन का कारण बना।
सिंगूर आंदोलन में ममता बनर्जी भी घायल हुईं थीं । सांसद ममता और एमएलए रविंद्र भट्टाचार्य (80) (अब इन्होंने बीते दिनों टिकट न मिलने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया है) समेत 78 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अब जिस तरह से नंदीग्राम में ममता पर कथित हमला हुआ है। उससे क्या टीएमसी और ममता बनर्जी को फायदा पहुंचेगा। जब 2011 में टीएमसी सरकार में आई तो उसने अधिगृहीत जमीन वापसी के लिए एक कानून बना दिया। हालांकि, टाटा ने इसे कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और 2012 में कोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाया था।
सिंगूर आंदोलन के साथ-साथ नंदीग्राम आंदोलन ने भी टीएमसी को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी साबित हुई। साल 2007 में पश्चिम बंगाल में वाम की अगुवाई वाली मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार ने सलीम ग्रूप को ‘स्पेशल इकनॉमिक जोन’ नीति के तहत नंदीग्राम में एक केमिकल हब की स्थापना करने की अनुमती दी थी। इसे भी ममता ने बड़ा हथियार बनाते हुए आंदोलन का आवाह्न कर दिया था। सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया। इसमें टीएमसी के बागी और फिलहाल भाजपा में शामिल शुभेंदु अधिकारी भी थे। उस वक्त की सत्तारूढ़ पार्टी ने इस आन्दोलन को ‘औद्योगीकरण के खिलाफ’ कहा था। इतना ही नहीं, ‘हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी’ ने भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी कर दिया। जिसके बाद हालात बिगड़ गए। 14 मार्च 2007 को एक ‘जॉइंट ऑपरेशन’ में करीब 14 लोगों की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद ममता समेत राज्य के अन्य बुद्धिजीवियों के तेवर और सख्त हो गए और साल 2011 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट की 34 वर्षों के शासन को समाप्त करने में टीएमसी सफल रही। ममता के मां, माटी, मानुष की सरकार का सपना साकार हो गया।
ममता बनर्जी द्वारा कथित नंदीग्राम हमले पर भाजपा और कांग्रेस, दोनों एक साथ पलटवार करने के लिए मोर्चा खोल दिया है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ममता के आरोप पर कहा कि अगर षड्यंत्र है तो सीबीआई ,सीआईडी को बुलाओ? उन्होंने कहा, "सिर्फ षड्यंत्र का बहाना बनाकर ममता बनर्जी आम लोगों का ध्यान खींचना चाहती हैं, सीसीटीवी फुटेज निकालो ना इससे सारा सच सामने आ जाएगा।लेकिन वो ये नहीं करेंगी क्योंकि चुनाव नजदीक है।ऐसा बहाना बनाकर वो चुनाव जीतने की कोशिश कर रहीं।" वहीं भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कथित हमले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि यह देखना होगा कि क्या घटना वोट हासिल करने के लिए "अच्छी तरह से लिखी गई नाटक" तो नहीं थी। पत्रकारों से बात करते हुए घोष ने कहा कि राज्य के लोगों ने इस तरह के "नाटक" को पहले भी देखा है। घोष ने कहा, "यह जांचने की जरूरत है कि वास्तव में क्या हुआ। कैसे जेड-प्लस सुरक्षा प्राप्त पर हमला हुआ है, यह एक ऐसा मामला है जिस पर गौर करना चाहिए। राज्य को सच्चाई सामने लाने के लिए सीबीआई जांच का आदेश देना चाहिए।" साथ में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी ममता को निशाने पर लिया है। कहा है कि चुनाव आयोग को उम्मीदवार के पीछे चल रहे वीडियो में जो आया है उसे सार्वजनिक करना चाहिए। आश्चर्य है कि ममता बनर्जी के साथ इतनी पुलिस चलती है और 4 लोग घटना करके चले गए। यह बहुत दुख की बात है। मैं उनकी लंबी आयु और जल्दी स्वस्थ होने की कामना करता हूं।