कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में अपना कार्यकाल खत्म कर रहे हैं। वहीं उनको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। बीते दिनों राज्यसभा में जिस तरह के घटनाक्रम देखने को मिले, उससे ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अब इसे लेकर आजाद ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।
हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में गुलाम नबी आजाद ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों पर कहा कि मैं भाजपा में तब शामिल होऊंगा, जब हमारे पास कश्मीर में काली बर्फ होगी। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ही क्यों, उस दिन मैं किसी अन्य पार्टी में भी शामिल हो जाऊंगा। जो लोग यह कहते हैं या इन अफवाहों को फैलाते हैं, वे मुझे नहीं जानते।
एक वाकया साझा करते हुए आजाद ने कहा कि जब राजमाता सिंधिया विपक्ष की उपनेता थीं, तो उन्होंने खड़े होकर मेरे बारे में कुछ आरोप लगाए। मैं उठ गया और मैंने कहा कि मैं आरोप को बहुत गंभीरता से लेता हूं और सरकार की ओर से मैं एक समिति का सुझाव देना चाहूंगा, जिसकी अध्यक्षता अटल बिहारी वाजपेयी करेंगे, और उसमें राजमाता सिंधिया और लालकृष्ण आडवाणी सदस्य होंगे। मैंने कहा कि उन्हें 15 दिनों में रिपोर्ट पूरी करनी चाहिए और वे जो भी सजा का सुझाव देंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा।
आजाद ने बताया कि अपना नाम सुनते ही वाजपेयी जी मेरे पास आए और पूछा कि ऐसा क्यों। जब मैंने उनसे कहा तो उन्होंने खड़े होकर कहा- मैं सदन और गुलाम नबी आजाद से क्षमा मांगना चाहता हूं। शायद राजमाता सिंधिया उन्हें (आजाद) नहीं जानती, लेकिन मैं जानता हूं।
राज्यसभा में अपने और पीएम के भावुक हो जाने को लेकर उन्होंने कहा कि हम दोनों इसलिए नहीं रो रहे थे क्योंकि हम एक दूसरे को जानते नहीं थे, बल्कि इसका कारण यह था कि 2006 में एक गुजराती पर्यटक बस पर कश्मीर में हमला किया गया था और मैं उनसे बात करते हुए भावुक हो गया था और रोने लगा था।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कह रहे थे कि यहां एक शख्स रिटायर हो रहा है, जो एक अच्छा इंसान भी है। वह कहानी को पूरा नहीं कर सके क्योंकि वह भावुक हो गए और जब मैं कहानी को पूरा करना चाहता था, तो मैं भी नहीं कर सका क्योंकि मुझे लगा कि मैं 14 साल पहले उस पल में वापस आ गया था, जब हमला हुआ था।