मालेगांव ब्लास्ट के बाद चर्चा में आई साध्वी प्रज्ञा भाजपा में शामिल हो गई हैं। उन्हें पार्टी ने भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ उतारा है। मालेगांव ब्लास्ट से लेकर आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड से प्रज्ञा का नाम जुड़ता रहा है। आइए, उनसे जुड़े विवादों के बारे में जानते हैं।
साध्वी प्रज्ञा भारती का असली नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर है। इनका जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। प्रज्ञा का नाम तब सुर्खियों में आया जब मालेगांव बम विस्फोट मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इन धमाकों के बाद वारदात की जगह से इनकी बाइक मिली थी। इस बाइक के बारे में कहा जाता है कि इसे उन्होंने बेच दी गई थी। इसी आधार पर अक्टूबर 2008 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। प्रज्ञा पर मकोका लगाया गया। वह लगभग 9 सालों तक जेल में रही थीं। 25 अप्रैल 2017 को उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। हाल ही में इस मामले से दोषमुक्त भी कर दिया गया।
क्या है मालेगांव ब्लास्ट मामला
महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को बम धमाका हुआ था। इस दौरान 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने का आरोप लगा था और साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम सामने आया था।
जोशी हत्याकांड से भी नाम जुड़े
संघ के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी की 29 दिसंबर 2007 में चूना खदान में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें भी प्रज्ञा को आरोपी बनाया गया था। हालांकि देवास की एक अदालत ने फरवरी 2017 में साध्वी प्रज्ञा और सात अन्य आरोपियों को बरी किया था।
युवावस्था में लिया था सन्यास
करीब 14 साल की उम्र में ही प्रज्ञा का झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर हो गया था। युवावस्था में इन्होंने संन्यास ले लिया। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य भी रहीं। अपनी भाषण शैली का कारण उन्हें काफी लोकप्रियता मिलने लगी। उन्होंने सूरत में एक आश्रम भी बनाया और वहीं से वो देश भर में घूमने लगीं। कहा जाता है कि प्रज्ञा से प्रभावित होकर मध्य प्रदेश भाजपा के एक पूर्व विधायक ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे प्रज्ञा ने ठुकरा दिया था।