मध्यप्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री का फैसला दिल्ली से होगा। दोनों राज्यों के पार्टी विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को दिया गया है। पार्टी के विधायकों ने इस आशय का एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया है। कांग्रेस ने इन राज्यों में राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है लेकिन कांग्रेस में मुख्यमंत्री को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है। समझा जाता है कि देर रात या कल राहुल गांधी इस पर फैसला लेंगे।
राजस्थान में 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर हुए। चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 99 सीट पर जीत दर्ज की है। राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी है, वहीं भाजपा को 73 सीटें मिली। वसुंधरा राजे की सरकार बहुमत से बहुत दूर है और कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए सिर्फ एक सीट की जरूरत है। बसपा या अन्य के समर्थन से कांग्रेस आसानी से सरकार बना लेगी।
वहीं, मध्यप्रदेश में 230 सीटों में से कांग्रेस 114 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है तो भाजपा को 109 सीटें मिली है। सूबे में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत है। शिवराज सिंह चौहान ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है।
दोनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री पद को लेकर आलाकमान कोई फैसला नहीं ले पाया है और कार्यकर्ताओं की रायशुमारी की जा रही है। आइए बताते हैं कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री को लेकर कौन हैं दावेदार।
राजस्थानः अशोक गहलोत या सचिन पायलट
राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट दौड़ में हैं। गहलोत दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। 2018 में गहलोत को पार्टी में संगठन महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है, तो पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनके पिता राजेश पायलट बड़े गुर्जर नेताओं में से एक थे। इन चुनावों में उनकी अहम भूमिका रही है।
मध्यप्रदेशः कमलनाथ या ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्यप्रदेश में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य के बीच अटकलें चल रही हैं। 72 साल के कमलनाथ प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का 1980 से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह अब तक 9 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है। वहीं, 47 वर्षीय ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना संसदीय सीट से लोकसभा सांसद हैं। वे युवा नेताओं में शुमार और सियासी माहौल में पले-बढ़े हैं। उनके पिता स्वर्गीय माधव राव सिंधिया भी कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। उन्होंने इस बार मप्र चुनाव में प्रचार की कमान संभाली थी।