दक्षिण भारत और बॉलीवुड के सुपरस्टार रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 2019 से नवाजा गया है। केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को इसका ऐलान किया है। जिसके बाद से अब इसका राजनीति कनेक्शन भी देखें जा रहे हैं। जिसके बाद रजनीकांत खुश होने की बजाय शर्मसार हो सकते हैं। क्योंकि, ये अवार्ड उन्हें बस पांच दिन बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने से ठीक पहले दिया गया हैं। हालांकि, जावड़ेकर का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में रजनीकांत के योगदान के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया है। इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। तमिलनाडु में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। घोषणा के मुताबिक अभिनेता रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के अवॉर्ड 3 मई को दिया जाएगा।
गुरुवार को जावड़ेकर ने ट्वीट के जरिए जानकारी देते हुए कहा, मुझे इस बात की अत्यंत खुशी है कि 2019 का दादासाहेब फ़ाल्के अवार्ड रजनीकांत को मिला है। 5 सदस्यों की ज्यूरी आशा भोसले, सुभाष घई, मोहन लाल, शंकर महादेवन और विश्वजीत चटर्जी ने एकमत से इसकी सिफारिश की है।
इस ऐलान के बाद भाजपा के पक्ष में सियासी समीकरण करवट बदल सकता है। इन चुनावों भाजपा के 20 उम्मीदवार मैदान में हैं और यदि वो जीत दर्ज करते हैं तो ये भाजपा के लिए बड़ी कामयाबी होगी। साथ ही कई बार गाहे-बगाहे रजनीकांत ने भाजपा के समर्थन में राजनीतिक रूप से फायदा पहुंचाया है। उन्होंने नोटबंदी और सीएए का समर्थन किया है। ऐसे में हो सकता है इस फाल्के अवॉर्ड के जरिए भाजपा सुपरस्टार रजनीकांत के फैंस के वोट निशाने पर हों।
वाकई में यदि केंद्र सरकार तमिलनाडु की एक फिल्म को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करना चाहती थी तो कमल हासन को दिया जा सकता था। क्योंकि, हासन रजनीकांत से बहुत वरिष्ठ अभिनेता हैं और वो छह दशक से अभिनय कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न भाषाओं में अभिनय किया है। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हासन निर्देशित फिल्मों के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं और वो एक सिंगर भी हैं।