मणिपुर में जारी संकट के बीच कांग्रेस सांसद ए बिमल अकोइजाम ने केंद्र की ‘‘निष्क्रियता’’ पर तीखे सवाल उठाते हुए कहा कि यदि ऐसी स्थिति उत्तर प्रदेश और बिहार में पैदा हुई होती हो तो उन्हें यूं ही नहीं छोड़ दिया जाता।
अकोइजामा ने ‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ साक्षात्कार के दौरान मणिपुर की स्थिति से निपटने के केंद्र के तरीके की कड़ी निंदा की और सवाल किया कि भारत सरकार पूर्वोत्तर राज्य को अफगानिस्तान की तरह क्यों बनने दे रही है। उन्होंने अफगानिस्तान को ‘बनाना रिपब्लिक’ (कमजोर सरकार वाला ऐसा गरीब देश जो किसी एक ही वस्तु के निर्यात से मिलने वाले धन पर निर्भर होता है) करार दिया।
अकोइजाम ने कहा, ‘‘मणिपुर में 60,000 सैनिकों की तैनाती करके केंद्र सरकार को इस संकट को इतने लंबे समय तक जारी रहने से रोकना चाहिए था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान या मध्य प्रदेश में हो रहा होता, तो क्या इसे लंबे समय तक जारी रहने दिया जाता? ज्यादातर लोग कहेंगे कि नहीं।’’
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई, 2022 को पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में 220 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें कुकी और मेइती समुदायों के सदस्यों के अलावा सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।
अकोइजाम ने केंद्र से राज्य सरकार में व्याप्त समस्याओं को सुलझाने का आग्रह किया और दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अलग प्रशासन के मुद्दे पर दो अलग-अलग बातें बोल रहे है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने विधायकों और मंत्रियों को बुलाकर कहना चाहिए था कि ‘भारत में ऐसा नहीं होना चाहिए। मणिपुर किसी ‘बनाना रिपब्लिक’ का हिस्सा नहीं है, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा, बात करके पता लगाओ, समस्या क्या है’।’’
मणिपुर में कुछ कुकी समूहों के प्रतिनिधियों ने पुडुचेरी की तर्ज पर एक केंद्र शासित प्रदेश के गठन की पिछले महीने मांग करते हुए कहा था कि यह संघर्ष से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस मांग को स्पष्ट रूप से खारिज दिया था।