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75 पार भाजपा नेताआें को अलविदा, क्‍या अगला शिकार आनंदी बेेन होंगी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह जब से देश और भाजपा की कमान संभाले हैं तब से पार्टी के 75 साल पार हो चुके बड़े-बुजुर्ग नेताओंं को धीरे-धीरे किनारे किया जा रहा है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक का दर्जा देकर सक्रिय राजनीति से अलग किया गया। शांता कुमार और यशवंत सिन्हा को भी अलग-थलग कर दिया गया। इसके बाद मध्‍य प्रदेश के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर और सरताज सिंह समेत कुछ अन्य मंत्रियों को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया।
75 पार भाजपा नेताआें को अलविदा, क्‍या अगला शिकार आनंदी बेेन होंगी?

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्राी नजमा हेपतुल्ला को भी इस्तीफा देना पड़ा। क्योंकि उन्होंने 75 साल की आयु सीमा पार कर ली थी।अब आगे गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। क्‍योंकि वह जल्द ही वह 75 वर्ष की हो जाएंगी।

आनंदीबेन मई 2014 में मुख्यमंत्राी बनी थीं। उनका जन्म 1941 में हुआ था और इस 21 नवंबर को वह 75 साल की हो जाएंगी। भाजपा के एक नेता ने कहा, जब पटेल 75 वर्ष की हो जाएंगी तब क्या होगा, यह सवाल हर किसी के दिमाग में है।एक अन्य नेता ने कहा, अटकलें इस मुद्दे को लेकर हैं कि क्या उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा या फिर वह अपवाद होंगी और उन्हें 2017 विधानसभा चुनाव तक एक साल के लिए और पद पर बने रहने दिया जाएगा।

आनंदीबेन साल 1998 से भाजपा सरकार में मंत्री हैं और साल 2014 में वह मुख्यमंत्री बनी थीं। गुजरात में नरेंद्र मोदी दौर के बाद यह पहली बार है जब भाजपा को विपक्षी दलों से कड़ी चुनौती मिल रही है। राज्य में साल 2017 के अंत में चुनाव होने हैं।दिसंबर 2015 में हुए ग्रामीण एवं नगर निकाय चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा था। इस परिणाम को आनंदीबेन के लिए गंभीर नुकसान के तौर पर देखा गया क्योंकि राज्य में लगभग 25 साल बाद कांग्रेस चुनाव जीती थी।

ग्रामीण निकाय चुनाव में भाजपा की हार की एक वजह पटेल आरक्षण आंदोलन को भी माना गया। इस चुनाव में भाजपा ने शहरी निकायों में जीत बरकरार रखी थी। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने आनंदीबेन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं। भाजपा का कोई भी नेता आधिकारिक तौर पर इस विषय पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, हालांकि वे इसे महज अटकल करार देते हैं।

कांग्रेस का कहना है कि यह नियम भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सुविधा के मुताबिक लागू होता है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा, यह भाजपा का आंतरिक मामला है। हमें लगता है कि यह नियम पार्टी के नेतृत्व की सुविधा के मुताबिक लागू होता है। किसी को बनाए रखना होता है तो वे एेसा कर लेते हैं लेकिन अगर किसी को वे हटाना चाहते हैं तो इस नियम का पालन किया जाता है। उन्होंने आगे कहा, उत्तर प्रदेश चुनाव के कारण वे केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का इस्तीफा नहीं ले रहे। हालांकि जब वे आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी को मंत्रिमंडल से बाहर रखना चाहते थे तो उन्होंने इस नियम का पालन किया था।

वैसे भी हाशिए में डाल दिए गए भाजपा के वरिष्‍ठ नेता यशवंत सिन्हा पहले ही यह कह चुके हैं कि भाजपा ने 75 वर्ष से अधिक आयु के अपने नेताओं को 26 मई, 2014 को दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया है। भाषा एजेंसी 

 

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