मूर्ति तोड़ने की घटनाओं पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। त्रिपुरा में लेनिन और तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति गिराने की घटनाओं से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत कर सख्त कार्रवाई के लिए कहा है। वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी इन घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि एक पार्टी के तौर पर हम इस प्रकार की घटनाओं का समर्थन नहीं करते हैं। अगर पार्टी का कोई भी व्यक्ति इन गतिविधियों में शामिल है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पीएम मोदी और शाह के इस प्रतिक्रिया के बाद माकपा का बयान आया है। माकपा की ओर से ट्वीट कर कहा गया है कि हमेशा की तरह प्रधानमंत्री के ये खोखले शब्द मात्र है। क्या वे त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय और भाजपा नेता राम माधव को गिरफ्तार करेंगे जिन्होंने लेनिन की मूर्ति गिराने को लेकर उत्तेजक बयान दिए थे।
Empty words as usual from the PM! Will they arrest @rammadhavbjp & Tripura Governor @tathagata2 who made provocative statements regarding the demolition of the #LeninStatue? https://t.co/4k517E9PUj
— CPI (M) (@cpimspeak) March 7, 2018
माकपा ने प्रधानमंत्री से पूछा कि इन दोनों के खिलाफ क्या सख्त कार्रवाई की जा रही है।
वहीं सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने मूर्ति तोड़े जाने की घटना पर कहा है कि यह संघ की विरासत है जिसके बारे में हम सभी जानते हैं। गांधी की हत्या से लेकर बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में ये होता आया है।
The legacy of Sangh Parivar is known to all. From Gandhi's murder to the demolition of Babri Masjid.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) March 7, 2018
बता दें कि लेनिन की मूर्ति गिराने के बाद राम माधव ने ट्वीट करते हुए लिखा था,”लोग लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की चर्चा कर रहे हैं, रूस नहीं ये त्रिपुरा है, चलो पलटाई।” दरअसल त्रिपुरा चुनाव के दौरान भाजपा ने चलो पलटाई का नारा दिया था।
सीपीआई ने राज्यपाल तथागत रॉय के भी एक कथित ट्वीट का स्क्रीनशॉट साझा किया। जिसमें उन्होंने लिखा है कि यदि एक सरकार ने गलती की है तो दूसरी सरकार सुधार सकती है।
त्रिपुरा में भाजपा की जीत के बाद से तोड़-फोड़, झड़प और हिंसा का दौर शुरू हो गया है। इस घटना के लिए सीपीआई(एम) भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रही है, तो वहीं भाजपा ने कहा है कि हिंसा का सहारा लेना उसकी परंपरा नहीं है। इसके अलावा मूर्ति तोड़ने की सियासत भी अपने चरम पर है। त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति, तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति उसके बाद अब बुधवार सुबह करीब 8 बजे पं. बंगाल की राजधानी कोलकाता के कालीघाट में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा खंडित कर दी गई है। साथ ही उनकी मूर्ति पर कालिख भी पोत दी गई। इसे लेकर गृहमंत्रालय ने राज्यो को कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं।