हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार की नीतियों के प्रबल आलोचक पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने भाजपा से नाता तोड़ लिया है। आज पटना में राष्ट्रमंच के बैनर तले आयोजित विपक्षी दलों के कार्यक्रम में उन्होंने पार्टी छोड़ने के अपने निर्णय की जानकारी दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह भाजपा से सभी संबंध खत्म करते हैं। किसी भी तरह की दलगत राजनीति से संन्यास ले रहे हैं। भविष्य में पार्टी में कोई पद नहीं लेंगे। लेकिन आज भी उनका दिल देश के लिए धड़कता है। आज जो हो रहा है, अगर उसके खिलाफ नहीं खड़े होते हैं तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
इस मौके पर आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, आरएलडी के जयंत चौधी, आप के संजय सिंह, भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा, कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी समेत विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद थे। इससे पहले 30 जनवरी को नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में यशवंत सिन्हा ने राष्ट्र मंच बनाने का ऐलान किया था। तब उन्होंने केंद्र की नीतियों पर हमला बोलते हुए कहा था कि राष्ट्र मंच एक अराजनैतिक फोरम होगा। पिछले दिनों उन्होंने भाजपा सांसदों को एक खुला पत्र लिखते हुए पार्टी और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ मुंह खोलने को कहा था। उनका यह पत्र काफी चर्चा में रहा।
6 नवंबर 1937 को बिहार के पटना में जन्मे यशवंत सिन्हा 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता दल के रास्ते राजनीति में आए थे। 1988 में वे राज्यसभा पहुंचे और चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री रहे। बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और 1996 में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री बने। एनडीए सरकार के दौरान 2002 में वे विदेश मंत्री भी रहे। लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग से हार गए। भाजपा आलाकमान के साथ उनकी खटपट 2009 से चली आ रही है। तब उन्होंने पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से साइडलाइन थे। हालांकि, उनके पुत्र जयंत सिन्हा फिलहाल मोदी सरकार में नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं।