नाटकीय घटनाक्रम में करीब 300 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पारित एक प्रस्ताव पर 230 सदस्यों ने दोनों असंतुष्ट नेताओं को हटाने का पक्ष लिया।
केजरीवाल ने बैठक के दौरान दिए भाषण में योगेंद्र और प्रशांत पर निशाना साधा। वह मनीष सिसोदिया की ओर से दोनों नेताओं को हटाने का प्रस्ताव पेश किये जाने से पहले ही बैठक स्थल से रवाना हो गए।
इस घटनाक्रम से क्षुब्ध दिख रहे योगेंद्र यादव ने कहा, यह लोकतंत्रा की हत्या है। सभी चीजें पूर्वनिर्धारित पठकथा के अनुरूप खेली गई और निर्धारित मानदंडों को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए कुछ ही मिनट में प्रस्ताव पेश किया गया और इसे पारित कर दिया गया। यह पूरी तरह से गलत है।
योगेंद्र के समर्थक आनंद कुमार और अजीत झा को भी बैठक के दौरान राष्ट्रीय कार्यकरणी से हटा दिया गया।
योगेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि प्रस्ताव का विरोध करने वाले राष्टीय परिषद के कई सदस्य घायल हो गए क्योंकि बाउंसरों एवं बाहरी गुंडों ने उनसे धक्कामुक्की की।
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि बैठक के दौरान फर्जी वोटिंग हुई और केजरीवाल हमें पार्टी से बाहर निकालने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आए थे।
उन्होंने कहा, कल स्टिंग के दौरान केजरीवाल को जो कुछ कहते सुना गया था, उसपर आज की बैठक में पूरी तरह अमल किया गया। सदस्य एवं अन्य में कोई फर्क नहीं किया गया। बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई, कोई गुप्त मतदान नहीं हुआ और न ही मतदान को प्रदर्शित ही किया गया।
वहीं, योगेंद्र ने कहा कि केजरीवाल के जाने के बाद पार्टी नेता और दिल्ली के मंत्री गोपाल राय से बैठक की अध्यक्षता करने को कहा गया और इसके तत्काल बाद सिसोदिया उठे और प्रस्ताव पेश कर दिया।
प्रशांत भूषण ने बैठक में पार्टी के आंतरिक लोकपाल एडमिरल एल रामदास को आने की अनुमति नहीं देने के पार्टी नेतृत्व के निर्णय पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
उन्होंने कहा, लोकपाल को अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई। यह पूरी तरह से पूर्वनियोजित था। उन्होंने आज जो कुछ किया, उसने सभी सीमाओं को पार कर दिया। यह केजरीवाल और उनके चाटुकरों की मानसिकता को दर्शाता है।