पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत कई नेताओं ने उन्हें अंतिम विदाई दी। नटवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार रात को निधन हो गया था। वह 93 वर्ष के थे।
उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में बारिश के बीच लोधी शव दाहगृह में दोपहर को किया गया। नटवर सिंह के परिवार के सदस्यों, मित्रों और समर्थकों के अलावा विदेश मंत्री जयशंकर, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा कई नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शवदाहगृह पहुंचे।
सिंह को मुखाग्नि दिए जाने से पहले जयशंकर ने भी उनकी चिता पर सम्मान स्वरूप एक लकड़ी रखी। अंतिम संस्कार में शामिल हुए एक पारिवारिक मित्र ने कहा, ‘‘कई नेता नटवर साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए आएं।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने दिल्ली के समीप गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली थी जहां उन्हें कुछ सप्ताह पहले भर्ती कराया गया था।
नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान में भरतपुर जिले के जघीना गांव में हुआ था। वह भारतीय विदेश सेवा में थे, लिहाजा जब वह राजनीति में आए तो उनके पास कूटनीतिक मामलों की समझ, पकड़ और अनुभवों की थाती भी साथ थी। वह अच्छे लेखक भी थे और उन्होंने ‘‘महाराजा’’ के जीवन से लेकर विदेश मामलों की बारीकियों तक के विषयों पर किताबें लिखीं। उन्हें 1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
नटवर सिंह ने विदेश मामलों सहित अन्य विषयों पर कई चर्चित किताबें भी लिखीं, जिनमें 'द लिगेसी ऑफ नेहरू : अ मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माई चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं। उनकी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट एनफ' भी काफी सुर्खियों में रही थी।शेखावत ने नटवर सिंह के निधन को राजनीति और कूटनीति दोनों के क्षेत्रों में एक ‘‘अपूरणीय क्षति’’ बताया।
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘एक राजनयिक के रूप में उन्होंने जिस तरह से देश की सेवा की और एक नेता के रूप में जिस तरह उन्होंने देशहित के लिए काम किया, दोनों ही बातें इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेंगी।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘नटवर सिंह जी एक निडर और साहसी व्यक्ति थे और उन्होंने हमेशा देश एवं समाज के हित वाली बातों पर अपने विचारों को निडरता से और खुलकर सामने रखा। उन्होंने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बोलने का साहस दिखाया।’’
शेखावत ने नटवर सिंह के परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। शेखावत भी राजस्थान से ही आते हैं।
पूर्व कांग्रेस सांसद नटवर सिंह 2004-05 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में विदेश मंत्री पद पर काबिज थे। उन्होंने पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवाएं दी थीं और 1966 से 1971 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े हुए थे।
जयशंकर ने भी रविवार सुबह ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में नटवर सिंह के परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं और विदेश मंत्री के रूप में सिंह की भूमिका को याद किया।