बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि वह प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कोटा (आरक्षण) बढ़ाने के पक्ष में हैं।
कुमार ने अपनी सरकार द्वारा कराए गए जातिगत सर्वेक्षण पर एक विस्तृत रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के बाद हुई चर्चा में भाग लेते हुए यह बयान दिया। मुख्यमंत्री का विचार था कि ओबीसी के लिए आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने की आवश्यकता है जबकि एससी और एसटी के आरक्षण के लिए आरक्षण 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 22 प्रतिशत तक किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उचित परामर्श के बाद आवश्यक कदम उठाएंगे। हमारा इरादा मौजूदा सत्र में इन बदलावों को लागू करने का है।’’
बता दें कि सर्वेक्षण से पता चलता है कि 112 जातियों के साथ अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य में 36.01% हिस्सेदारी के साथ आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है। 29 जातियों और 27.12% हिस्सेदारी के साथ, ओबीसी आबादी का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। 14.26% हिस्सेदारी के साथ यादव, ओबीसी समूह में प्रमुख जाति है। अनुसूचित जाति की आबादी 19.65% आंकी गई है जबकि सामान्य अनारक्षित आबादी की संख्या 15.52% है।
वहीं भाजपा ने इसका विरोध किया है यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में दिए गए भाषण में बिना किसी पार्टी का नाम लिए जातिगत जनगणना पर कहा कि वे कहते हैं जितनी आबादी उतना हक मैं कहता हूं इस देश में अगर सबसे बड़ी आबादी किसी की है तो वह गरीबों की हैं।