केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ अपनी पार्टी के विलय की संभावना से इनकार किया, जब तक कि चिराग पासवान 2020 के चुनाव अकेले लड़ने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए पारस ने कहा, 'चिराग पासवान भले ही एनडीए में वापस आ गए हों, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने उन्हें माफ कर दिया है। ऐसा करने के खिलाफ हमारी सलाह के बावजूद अकेले चुनाव लड़ने का फैसला गलत था।"
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और दिवंगत दलित नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई पारस ने स्पष्ट किया, चूंकि राजनीति में सब कुछ संभव है, इसलिए मैं (दोनों दलों के) पुनर्मिलन के बारे में तभी सोच सकता हूं जब वह सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
उन्होंने आगे दावा किया कि भाजपा द्वारा उनसे अनुमति लेने के बाद ही चिराग एनडीए में लौटे थे।
पारस ने कहा, "बीजेपी नेता नित्यानंद राय ने चिराग को एनडीए में वापस लेने के बारे में मुझसे बात की थी। मेरी मंजूरी के बाद ही चिराग ने मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार किया।"
बिहार से लोकसभा में आरएलजेपी के पांच सदस्य हैं। बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन लोजपा ने छह सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन लोजपा में विभाजन के बाद, पांच सांसद पारस के नेतृत्व वाली आरएलजेपी के साथ चले गए, जबकि रामविलास पासवान के इकलौते बेटे चिराग पासवान लोजपा (रामविलास) के अकेले सांसद बने रहे।