पश्चिम बंगाल में प्रतिष्ठित कोलकाता उत्तर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सुदीप बंदोपाध्याय और तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए तापस रॉय के बीच होने वाले मुकाबले ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के बीच ‘‘पुराने बनाम नए’ की बहस फिर से छेड़ दी है जो पार्टी के पहले और दूसरे पायदान के नेताओं के बीच सत्ता के संघर्ष को दर्शाती है।
तीन बार सांसद रहे सुदीप बंदोपाध्याय के सामने मुख्य चुनौती चार बार विधायक रहे एवं तृणमूल के पूर्व नेता तापस रॉय की होगी। रॉय हाल में तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे जिसके बाद तृणमूल में ‘पुराने बनाम नए’ की बहस को हवा मिली।बंदोपाध्याय तृणमूल के पुराने नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विश्वासपात्र हैं, तो रॉय निश्चित ही तृणमूल की नयी पीढ़ी की भावनाओं को दर्शाते हैं।
तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस निर्वाचन क्षेत्र में वर्चस्व के लिए लड़ रही हैं, वहीं वाम-कांग्रेस गठबंधन ने भी पूर्व सांसद प्रदीप भट्टाचार्य को यहां से मैदान में उतारकर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। तृणमूल कांग्रेस की 1998 में स्थापना के बाद से कोलकाता उत्तर सीट पारंपरिक रूप से पार्टी का गढ़ रही है। यह सीट न केवल पार्टी के लिए, बल्कि राज्य के सत्ता गलियारों से इसी निकटता के कारण उम्मीदवारों के लिए भी अत्यधिक राजनीतिक महत्व रखती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शायद इसीलिए पार्टी के भीतर आई दरारों के कारण इस सीट पर पैदा हो रही चुनौती विपक्ष की अन्य चुनौतियों की तुलना में बनर्जी को अधिक चिंतित कर सकती है। राजनीतिक विश्लेषक बिस्वनाथ चक्रवर्ती ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘कोलकाता उत्तर तृणमूल कांग्रेस का गढ़ हो सकता है लेकिन इस बार यह पार्टी के भीतर कलह का उदाहरण बनकर उभरा है। अगर आपको इस सीट पर कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिले तो आश्चर्यचकित न हों।’’