ओडिशा में राजनीतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वंदियों पर विरोध स्वरूप अंडा फेकना आम बात हो गई है। कांग्रेस के दिग्गज और सीएलपी नेता नरसिंह मिश्रा ने इस मामले का बचाव करते हुए सड़क जाम करना और काले झंडे दिखाने की तरह ही इसको विरोध का एक तरीका बताया। नरसिंह मिश्रा का यह बयान ऐसे वक्त आया जब दो कांग्रेसी को पुलिस द्वारा ओडिशा के वाणिज्य और परिवहन मंत्री के काफिले पर अंडे फेंकने के आरोप में हिरासत में लिया गया।
समाचार एजेंसी पीटीआई को नरसिंह मिश्रा ने बताया, "हर नागरिक को, हर दल को विरोध करने का अधिकार है। सत्ता दल, विपक्षी दल दोनों विभिन्न मुद्दों पर अपना विरोध प्रदर्शन करते हैं, विरोध प्रदर्शन में अंडा फेंकना मौलिक अधिकार है।
अपनी बातों को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि अंडे फेंकने से किसी को कोई नुकसान नहीं होता है। सड़क जाम करना काले झंडे दिखाने जैसे विरोध के कई तरीके हैं, तो अंडे द्वारा विरोध करने में गलत क्या है?"
उन्होंने कहा कि मंत्री के गुंडे द्वारा प्रदर्शनकारियों को पीटा गया लेकिन उनके ऊपर कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। मगर अंडे फेकने के जुर्म में प्रदर्शकारियों पर हत्या का प्रयास के तहत धारा 307 लगाया जाता है।
हालांकि उनके बयान पर ओपीसीसी अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने कहा- राजनीतिक विरोधियों पर नाराजगी के कारण अंडे फेके जाते है लेकिन इससे कोई समाधान नहीं है।
2019 के आम चुनाव से पहले 2018 में राज्य में विरोध का यह रूप आम हो गया था। वहीं कालाहांडी महिला शिक्षक अपहरण और हत्या मामले में मुख्य आरोपी के साथ कथित संबंधों के लिए विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने गृह राज्य मंत्री डीएस मिश्रा को मंत्रिपरिषद से हटाने की मांग शुरू करने के बाद से यह फिर से राज्य में लौट आया है।
बुधवार को पूरी यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को इस तरह का विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा जब भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उनके काफिले को निशाना बनाकर खाद्य सामग्री फेंकी गई।
शनिवार को ओडिशा के दो मंत्री एन के दास और टी के बेहरा को भी इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा जब वे स्वास्थ्य कार्ड वितरण समारोह में जा रहे थे।
भाजपा जो हमेशा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर अंडे फेंकती रही उसे खुद भी इसका सामना करना पड़ा। बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी पर बीजेडी कार्यकर्ताओं द्वारा गैस की बढ़ती क़ीमतों के विरोध में अंडे फेके गए। कार्यकर्ताओं द्वारा केंद्र सरकार पर गरीब और मध्यम वर्ग पर बोझ डालने का आरोप लगाया। हालांकि अपराजिता सारंगी ने इस मामले को नजरअंदाज करते हुए कहा उन्हें विरोध का अधिकार है, लोगो ने रसोई गैस की वृद्धि के तरफ मेरा ध्यान आकर्षित किया है । लेकिन मैं इसे विरोध नही एक समस्या मानती हूं।