विपक्ष ने इस बयान को ध्रुवीकरण की कोशिश बताते हुए निंदा की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पीएम के बयान की तीखी आलोचना करते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के बयान का संज्ञान लेना चाहिए, यह स्पष्ट तौर पर आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।'
समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि पीएम ने फतेहपुर रैली में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है, हम उसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी करेगी। वहीं, कांग्रेस नेता सलमान सोज ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना की। सोज ने लिखा, 'यह आदमी गांधी के भारत का प्रधानमंत्री कैसे बन गया? कब्रिस्तान और श्मशान से पहले हमारे पास खेल मैदान होना चाहिए जहां हिंदू, मुस्लिम और दूसरे धर्मों के बच्चे एक साथ खेल सकें।'
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमिन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर प्रधानमंत्री के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट में लिखा, '400 में एक भी मुसलमान उम्मीदवार नहीं, भेदभाव नहीं होना चाहिए। गोवा में बीफ उपलब्ध, महाराष्ट्र में बीफ बैन, भेदभाव नहीं होना चाहिए। जकिया जाफरी और नजीब की मां को इंसाफ मिलना चाहिए, यह भेदभाव नहीं होना चाहिए। आंगनवाड़ी का बजट माइनस हो गया, देश के मासूम गरीब बच्चों से भेदभाव नहीं होना चाहिए।'
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने तो प्रधानमंत्री मोदी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'हिंदू-मुस्लिम के नाम पर जनता को बांटने का नतीजा यह देश एक बार 1947 में देख चुका है। क्या मोदी देश को वहीं वापस ले जाना चाहते हैं?' उन्होंने कहा कि लोगों को रोजगार चाहिए, बेहतर जीवन और रोजी-रोटी चाहिए न कि श्मशान या कब्रिस्तान चाहिए। येचुरी ने मोदी के बयान को प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराने वाला बताया।