जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। जम्मू-कश्मीर में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल भी लोकसभा में पास हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने से जुड़ा प्रस्ताव लोकसभा में रखते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में अभी विधानसभा चुनाव कराने का माहौल नहीं है। इसलिए 6 महीने के लिए और राष्ट्रपति शासन बढ़ाया जाए। वहीं कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाए जाने के सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया। 3 जुलाई 2019 से 6 महीने का वक्त शुरू हो जाएगा।
इस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि जब कोई दल राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं था तो कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। इसके बाद विधानसभा को भंग करने का फैसला राज्यपाल ने लिया था। 9 दिसंबर 2018 को राज्यपाल शासन की अवधि खत्म हो गई थी और फिर धारा 356 का उपयोग करते हुए 20 दिसंबर से वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया। 2 जुलाई को छह माह का अंतराल खत्म हो रहा है और इसलिए इस राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए क्योंकि वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।
इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी
अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि चुनाव आयोग ने इस साल के आखिर में चुनाव कराने का फैसला करेंगे और इस बारे में सूचित कर दिया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना था, अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इस वजह से चुनाव कराने इस दौरान मुमकिन नहीं था। इस साल के अंत में चुनाव कराने का फैसला लिया गया। शाह ने कहा कि वहां राष्ट्रपति शासन बढ़ाना जरूरी हो गया है और इस दौरान वहां चुनाव हो जाएगा।
‘यह विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए है’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक का प्रस्ताव रखते हुए कहा, ‘यह विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए है’। यह जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति द्वारा लगाये गए अनुच्छेद 356 को जारी रखने का प्रस्ताव है।
‘हम जम्मू-कश्मीर में स्थिति की निगरानी कर रहे हैं’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकरों का निर्माण पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाएगा। हर व्यक्ति का जीवन हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस ने सुधारे कश्मीर के हालात: मनीष तिवारी
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल और राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का विरोध करते हुए कहा कि आज जो कश्मीर में हालात है उसके लिए इतिहास में पीछे जाने की जरूरत है। तिवारी ने कहा कि 1990 में वीपी सिंह की सरकार था, जिसे बीजेपी और लेफ्ट का समर्थन हासिल था, तब से जम्मू कश्मीर के हालात बिगड़ने शुरू हुए। कांग्रेस की ओर से सरकार को चेताने के बावजूद भी राज्य के हालात नहीं सुधरे और वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।
कश्मीर में हालात बिगड़े उसके लिए कश्मीर के लोग नहीं बल्कि पाकिस्तान जिम्मेदार था। पड़ोसी मुल्क ने पहले पंजाब और फिर कश्मीर में दखल दी, जिससे दोनों राज्यों के हालात बिगड़े। 1996 में कांग्रेस ने स्थिति को संभाला और वहां विधानसभा चुनाव हुए और नेशनल कांफ्रेंस की सरकार बनी जो 6 साल तक चली। फिर 2002 के चुनाव में पीडीपी-कांग्रेस की सरकार बनी। 2003 में जब पूर्व प्रधानमंत्री श्रीनगर गए तो उन्होंने इंसानियत और कश्मीरियत की बात की और बढ़ा दिल दिखाया।
आरक्षण बिल का विरोध नहीं, तरीके का विरोध: कांग्रेस
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से लोकसभा के चुनाव करा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों साथ में नहीं कराए गए। तिवारी ने कहा कि हमारे पश्चिमी पड़ोसी से जो चुनौती है वह खत्म होने वाली नहीं है। आपको आवाम को साथ रखना पड़ेगा तभी आप चुनौती का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों का विश्वास जीतने में नाकाम रही है और इसी वजह से वहां हालात बिगड़े हैं। तिवारी ने कहा कि हम राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करते हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि आरक्षण के प्रस्ताव का विषय विधानसभा के अधिकार में आता है और इस विधेयक को लाने का हक विधानसभा का होना चाहिए। सीमा पर रहने वाले लोगों का दर्द हम समझते हैं और आरक्षण पर हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उसके तरीके पर आपत्ति जरूर है।
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन से बिगड़े हालात: तिवारी
लोकसभा में मनीष तिवारी ने कहा कि 2005 से 2008 तक कश्मीर का गोल्डन टाइम था क्योंकि कांग्रेस की सरकार ने वाजपेयी की नीतियों को आगे बढ़ाया। फिर से कश्मीर में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस-एनसी की सरकार बनी जिसने 2014 तक राज्य में पारदर्शी शासन दिया। 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद राज्य में चुनाव हुए और हमने एक प्रगतिशील प्रदेश बीजेपी सरकार को सौंपा था। तिवारी ने कहा कि राज्य में बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाए और यह गलत गठबंधन था। आज कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के हालात बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन से बने हैं। तिवारी ने कहा कि आतंकवाद से आप सख्ती से निपटें मैं तो खुद इसका भुक्तभोगी हूं। आतंकवाद के खिलाफ आपकी किसी कठोर नीति का हम विरोध नहीं करते, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ जंग तभी जीती जा सकती है जब लोग आपका साथ देंगे।
जानें क्या जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल
जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल के तहत राज्य में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास रहने वालों की तरह ही तीन फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में इस बिल को पेश करेंगे, वह बीते 2 दिनों से राज्य के दौरे पर ही थे।