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किसी की मर्जी और पसंद से काम नहीं कर सकता लोकतंत्र : मोदी

इन दिनों लगातार संसद की कार्यवाही में पड़ रहे व्यवधान से दुखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज परोक्ष रूप से विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र किसी की मर्जी और पसंद के हिसाब से काम नहीं कर सकता।
किसी की मर्जी और पसंद से काम नहीं कर सकता लोकतंत्र : मोदी

प्रधानमंत्री के इस बयान को पिछले कई दिनों से संसद की कार्यवाही बाधित किए जाने के कांग्रेस के रवैये पर टिप्पणी के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को केवल चुनाव और सरकारों तक सीमित नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र के समक्ष दो बड़े खतरे हैं जिनमें से एक मनतंत्र और दूसरा धनतंत्र है। पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम के मंच से अपने संबोधन में कहा कि गरीबों को उनके अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं क्योंकि संसद में उनको लाभ पहुंचाने वाले कई विधयेक व्यवधान के कारण अटके हैं। उन्होंने कहा, केवल जीएसटी विधेयक ही नहीं, बल्कि गरीबोन्मुखी कई कदम संसद में रूके हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, आपने देखा होगा इन दिनों इस तरह का गतिरोध देखा जा रहा है। मेरी मर्जी, मेरे मन में जो आएगा, वही मैं करूंगा। क्या कोई देश इस तरह से चलेगा?  लोकतंत्र ऐसे काम नहीं करता, यह मनतंत्र से नहीं चलता है। देश इस आधार पर काम नहीं करता है। आप जो सोचें, लेकिन व्यवस्था ऐसे नहीं चलती है।

 

विपक्ष द्वारा संसद के कमाकाज को लगातार बाधित करने से बेहद खिन्न नजर आ रहे पीएम ने कहा, यह दुखद है कि संसद में कामकाज नहीं हो पाने के कारण गरीबों को उनके अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि बात केवल जीएसटी बनाम संसद की हो रही है। जीएसटी पर जो कुछ होना है, वह सभी से विचार विमर्श के बाद भारत के भाग्य का फैसला करने के लिए होगा लेकिन गरीबों का क्या, सामान्य मानव का क्या? उन्होंने कहा, संसद में कामकाज नहीं होने के कारण एक विशिष्ट कानून रूका हुआ है जो गरीबों को नौकरी में बोनस 3,500 से बढ़ाकर 7,000 रूपये करने वाला है। इसमें बोनस देने के लिए वेतन की सीमा को वर्तमान 7,000 से बढाकर 21,000 करने की बात कही गई है। क्या यह गरीबों के सीधे काम से जुड़ा नहीं है?

 

मोदी ने कहा कि सरकार आग्रह कर रही है कि संसद में कामकाज होने दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, और इन्हीं कारणों से हम आग्रह करते हैं कि संसद में कामकाज होने दिया जाना चाहिए। चर्चा और संवाद के लिए संसद से बड़ा कोई और मंच नहीं हो सकता है। लेकिन अगर हम इस संस्था को नकार देंगे तब लोकतंत्र पर सवालिया निशान खड़ा हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा,  हमें लोकतंत्र के सम्मान और कानून बनाने से आम लोगों और देश को उससे होने वाले फायदे को ध्यान में रखना चाहिए। हमें इस पर जोर देना है और इसे मजबूत बनाना है।

 

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