राज्यसभा में आज माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि अहमद का अस्पताल ले जाते समय ही निधन हो गया था लेकिन उनके देहांत का ऐलान बहुत बाद में किया गया। येचुरी ने शून्यकाल में कहा कि अहमद के निधन को लेकर अलग-अलग तरह की खबरें आई हैं। कुछ डॉक्टरों ने कहा कि जब उन्हें अस्पताल लाया गया था तब उनका निधन हो चुका था और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि अहमद ने आईसीयू में अंतिम सांस ली। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्हें बेहतर सुविधाओं के लिए ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया।
येचुरी ने कहा कि वह उन परिस्थितियों की गहन जांच चाहते हैं जिन परिस्थितियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री ई अहमद के निधन को लेकर अलग-अलग तरह की बातें कही गईं तथा उनके निधन की खबर कथित तौर पर दबाई गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता अहमद (78 वर्ष) की तबियत 31 जनवरी को संसद भवन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान खराब हुई थी जिसके बाद उन्हें राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें कृत्रिम जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था।
येचुरी ने कहाकि यह शर्मनाक है और मैं इसकी पूरी जांच चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि मैंने जो कुछ सुना वह सही न हो। लेकिन अगर यह सही है तो इसके लिए जवाबदेही तय की जानी चाहिए और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने ऐसा किया। माकपा नेता ने यह भी कहा कि अहमद के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए अस्पताल गए वरिष्ठ नेताओं को और तो और पूर्व केंद्रीय मंत्री के बच्चों तक को शुरू में उन्हें देखने की अनुमति नहीं दी गई।
येचुरी ने कहा कि जब तक करीबी संबंधी की अनुमति न हो तब तक मरीज को जीवन रक्षक प्रणाली पर नहीं रखा जा सकता। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि अहमद के निधन की खबर का ऐलान करने में क्यों और कैसे विलंब हुआ। कुछ अन्य सदस्यों ने भी येचुरी की बात का समर्थन किया।
उधर, लोकसभा में भी कांग्रेस और वाम सदस्यों ने यह मामला उठाया। दोपहर 12 बजे विभिन्न विपक्षी दलों, विशेषकर केरल के सदस्य अहमद की मौत का मामला उठाते हुए आसन के समक्ष आ गए। आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और माकपा केपी करुणाकरन इस पर अपनी बात रखना चाहते थे। वे यह मामला उठाते हुए आसन के समक्ष आ गए। (एजेंसी)