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सरकार के फैसले से जम्मू कश्मीर के इन समुदायों को मिलेंगे समान अधिकार

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में हिंसा भड़कने की आशंकाओं से बेफिक्र नरेंद्र मोदी सरकार ने...
सरकार के फैसले से जम्मू कश्मीर के इन समुदायों को मिलेंगे समान अधिकार

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में हिंसा भड़कने की आशंकाओं से बेफिक्र नरेंद्र मोदी सरकार ने फैसला किया है कि राज्य के सभी निवासियों के लिए समानता सुनिश्चित की जाएगी। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है।

ये समुदाय मूलभूत अधिकारों से वंचित

पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी, वाल्मीकि समुदाय और गोरखा सैनिकों के उत्तराधिकारियों जैसे कई समुदाय दशकों से राज्य में रह रहे हैं लेकिन अनुच्छेद 35ए के कारण वे कश्मीरियों को मिल रहे अधिकारों से वंचित हैं। इन लोगों को अनुच्छेद 370 और 35ए हटने का इंतजार था।

ये समुदाय जम्मू कश्मीर के पाक अधिकृत क्षेत्र से आए शरणार्थी हैं। उन्हें 1947 में पलायन करने को विवश कर दिया गया था। इस वजह से वे जम्मू में आकर बस गए थे। इन समुदायों में कश्मीरी पंडित और सिख भी हैं जिन्हें कश्मीर घाटी से भागने को मजूबर कर दिया गया। पश्चिमी पाकिस्तान से 1947 में आए शरणार्थी परिवार भी ऐसा भेदभाव झेल रहे हैं। अधिकारी के अनुसार वाल्मीकि समुदाय के लोगों को शेख अब्दुल्ला ने पंजाब से जम्मू कश्मीर में बसाया था। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह की सेना के गोरखा सैनिक और जम्मू कश्मीर के पुरुषों से विवाह करने वाली दूसरे राज्यों की महिलाएं भी मूलभत अधिकारों से वंचित हैं। उनके बच्चों को भी कोई अधिकार प्राप्त नहीं हैं। इन सभी समुदायों में से पंडित परिवारों और लद्दाख के लोगों को छोड़कर बाकी सभी को स्थायी निवासी का दर्जा हासिल नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 35ए से प्राप्त शक्तियों पर जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 6 के कारण निवासियों को स्थायी निवासी के अधिकारों से वंचित रखा गया है।

कौन से अधिकार नहीं मिल रहे

अधिकारी ने कहा कि भारत और जम्मू कश्मीर के लोगों की भलाई के लिए अनुच्छेद 35ए को हटाया ही जाना चाहिए था। इससे राज्य में विकास का रास्ता खुलेगा और देश के साथ उसका पूरी तरह एकीकरण हो जाएगा। जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक ज्ञापन देकर उन मामलों के बारे में बताया था जिनमें कई समुदायों को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा गया है। इन समुदायों को संपत्ति के स्वामित्व, मतदान करने, रोजगार पाने, अपनी पसंद से विवाह करने, उच्च शिक्षा पाने, पंचायत और कोऑपरेटिव सोसायटी में सदस्य बनने और बैंक लोन लेने के अधिकार नहीं मिले हैं।

संविधान में समानता का अधिकार

एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने के शर्त पर कहा कि कश्मीर घाटी में हिंसा भड़कने की आशंका है। सरकार इससे निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। लेकिन हिंसा भड़कने की आशंका से संविधान में लोगों को प्रदत्त समानता के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता है।

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