इस संबंध में कानून बनाने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र के नियमन एवं उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए बहुप्रतीक्षित रियल एस्टेट नियमन एवं विकास विधेयक को आज राज्यसभा से पारित करा लिया। इस विधेयक के कानून की शक्ल लेने से भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण के गठन, रियल एस्टेट की निर्धारित परियोजनाओं के विज्ञापन से पहले उनका पंजीकरण अनिवार्य करने सहित कई महत्वपूर्ण प्रावधान अस्तित्व में आएंगे।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इसका उद्देश्य खरीददारों के हितों की रक्षा करना और क्षेत्र में पारदर्शिता लाना है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये आवासीय एवं वाणिज्यिक परियोजनाओं का नियमन होगा। साथ ही ऐसी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने और उन्हें सौंपने में भी मदद मिलेगी। विधेयक में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि अपीलीय प्राधिकरणों के नियमों का उल्लंघन होने की स्थिति में प्रमोटरों को तीन साल तक की सजा तथा रियल एस्टेट एजेंटों एवं खरीददारों को एक साल की सजा अथवा जुर्माना या दोनों लगाए जा सकते हैं।
नायडू ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव किया है कि खरीददारों से एकत्र 70 प्रतिशत राशि को निर्माण एवं भूमि के मकसद से एक अलग खाते में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि अपीलीय प्राधिकरण को मामलों का निस्तारण 60 दिनों के भीतर करना होगा जबकि पहले इसके लिए 90 दिनों का प्रावधान किया गया था। नियामक प्राधिकरणों को शिकायतों का निस्तारण 60 दिनों के भीतर करना होगा जबकि पहले इसके लिए कोई सीमा तय नहीं थी।
नायडू ने कहा कि मौजूदा विधेयक संप्रग सरकार के 2013 के विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श कर लाया गया है। उन्होंने कहा कि आज दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में नियमन है लेकिन रियल एस्टेट के क्षेत्र में नियमन का अभाव था जिसके कारण उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने में दिक्कतें आ रही हैं। नायडू ने कहा कि रियल एस्टेट कृषि के बाद रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि इसका जीडीपी में करीब नौ प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नियमन और पारदर्शिता के अभाव में जहां आए दिन परियोजनाओं की लागत एवं समय में वृद्धि होती थी वहीं उपभोक्ताओं के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग के अनुसार प्रति वर्ष करीब 10 लाख लोग मकान खरीदते हैं तथा प्रतिवर्ष करीब 3.50 लाख करोड़ रुपये का निवेश होता है।