एनएसजी की सदस्यता के भारत के प्रयासों में चीन द्वारा प्रक्रियागत बाधाएं खड़ी करने की बात को स्वीकार करते हुए सुषमा ने कहा कि सरकार चीन के साथ मतभेदों को दूर करने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेगा, हालांकि वह निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
सुप्रिया सुले, सौगत बोस के पूरक प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, मैंने पहले भी कहा था, आज भी कह रही हूं, सदन में कह रही हूं कि चीन ने प्रक्रियागत विषयों को उठाया था। चीन ने कहा था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला देश एनएसजी का सदस्य कैसे बन सकता है। इस तरह से चीन ने प्रक्रियागत बाधा खड़ी की। चीन के बहाने कांग्रेस को घेरे में लेते हुए सुषमा ने कहा कि एक बार कोई नहीं माने तो हम यह नहीं कह सकते कि वह कभी नहीं मानेगा। हमारे कांग्रेस के मित्र जीएसटी पर नहीं मान रहे हैं। अन्य सभी दल मान गए हैं। केवल कांग्रेस नहीं मान रही है। हम मनाने में लगे हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि लेकिन वह (कांग्रेस) एक बार नहीं माने तो क्या हम यह कहें कि वे कभी नहीं मानेंगे। हम मनाने में लगे हैं, हो सकता है कि जीएसटी इसी सत्र में पास हो जाए। सुषमा स्वराज ने कहा कि 2008 में असैन्य परमाणु संबंधी जो छूट हमें मिली थी, उसमें एनपीटी का सदस्य बने बिना ही इसे आगे बढ़ाने की बात कही गई थी।
उन्होंने स्पष्ट किया, हम एनपीटी पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे। लेकिन इसके लिए हमारी पूर्ण प्रतिबद्धता है। हम इसके लिए पूर्व की सरकार को भी श्रेय देते हैं। 2008 के बाद से छह वर्ष इस प्रतिबद्धता को पूर्व की सरकार ने पूरा किया और इसके बाद वर्तमान सरकार इस प्रतिबद्धता को पूरा कर रही है। विदेश मंत्री ने कहा कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत ने आधा-अधूरा नहीं बल्कि भरपूर प्रयास किया। सुषमा ने कहा कि एनएसजी की सदस्यता के प्रयास में भारत को सफलता नहीं मिलने को कूटनीतिक विफलता नहीं माना जा सकता। यह सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि क्या भारत एनएसजी का सदस्य बन पाएगा और अब यह पूछा जाने लगा है कि भारत एनएसजी का सदस्य कब तक बनेगा। विदेश मंत्री कहा कि एक बार सफलता नहीं मिले तो इसे कूटनीतिक विफलता नहीं बल्कि आगे सफलता का रास्ता माना जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में जो छूट मिली थी, उसके माध्यम से हम बरामदे तक पहुंच गए और सदस्य बनने पर हम कमरे में पहुंच जाते। जब आप कमरे से बाहर रहते हैं तब आप अपने हितों की रक्षा नहीं कर सकते।
सुषमा ने कहा कि एनएसजी का सदस्य बने बिना संवेदनशील प्रौद्योगिकी हस्तांतरण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अभी हम नियमों का अनुपालन करने वाले (रूल टेकर) हैं, नियम बनाने वाले (रूल मेकर) नहीं। उन्होंने कहा कि हमने एनसीजी की सदस्यता के संबंध में कोई हाइप नहीं बनाया। 12 मई, 2016 को आवेदन करने के बाद हमने भरपूर प्रयास किया। आधा अधूरा प्रयास नहीं किया बल्कि लक्ष्य साधने के लिए पूरा प्रयास किया।