राज्यसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के दलित बच्चों की तुलना कुत्ते से करने वाले आपत्तिजनक बयान पर जिस तरह से हमलावर रुख अपनाया है, उससे साफ है कि वह दलितों के सम्मान को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। अंबेडकर की 125 जयंति को बड़े रूप में बनाने की तैयारी कर रही केंद्र सरकार के दलित विरोधी रवैये को उजागर करके मायावती अपने वोट बैंक को सुरक्षित करना चाहती है। उन्होंने इस मसले पर केंद्रीय मंत्री वी.के सिंह के इस्तीफे की मांग पर बाकी दलों से भी समर्थन मांगा राज्यसभा में आज दिन भर इसी पर हंगामा चलता रहा। कई बार सदन की कार्यवाई बाधित हुई।
बसपा प्रमुख मायावती दलित बच्चों पर की गई इस आपत्तिजनक टिप्पणी पर केंद्र सरकार को घेरकर एक तरफ जहां भाजपा मंत्रियों के ऊपर दवाब बनाने की रणनीति पर चल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी नजर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी है। विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहे उत्तर प्रदेश में मायावती का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी के बाद भाजपा से है। भाजपा से दलित वोट बैंक को लेकर वैसे भी टक्कर तीखी है। लिहाजा मायावती के लिए भाजपा को दलित विरोधी साबित करना वक्त की जरूरत है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी चल रही है कि संसद में बसपा कांग्रेस की बहस में सहयोगी रुख अख्तियार करेगी और कांग्रेस भी इसी तरह की मददगार भूमिका में रहेगी। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा कुमारी द्वारा गुजरात के मंदिर में जाति पूछे जाने का मामला उठाए जाने और इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूश गोयल का आपत्तिजनक बयान दिए जाने पर भी मायावती ने सैलजा का समर्थन किया था।