नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। आज सत्र का आखिरी दिन है, लेकिन सत्र समाप्त करने के बजाय सरकार ने दोबारा सदन की बैठक बुलाने का विकल्प खुला रखा है। आज सुबह राजनैतिक मामलों की कैबिनेट की समिति की बैठक में विपक्षी दलों के हंगामे के मद्देनजर जीएसटी जैसे अहम विधेयक को पारित कराने की रणनीति पर विचार किया गया। माना जा रहा है कि सरकार ने अभी जीएसटी विधेयक पास कराने की उम्मीद छोड़ी नहीं है, इसलिए मानसून सत्र कुछ दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है या फिर विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
राजनीतिक मामलों पर कैबिनेट समिति ने दोनों सदनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के तत्काल बाद ही इसका सत्रावसान करने की सिफारिश नहीं करने का निर्णय किया। सूत्राें का कहना है कि सत्र को आगे बढाने या विशेष सत्र बुलाने का मामला इस बात पर निर्भर करेगा कि विवादास्पद जीएसटी विधेयक पर सरकार अन्य दलों के साथ कितना आगे बढ़ पाती है। अगर सरकार कुछ क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लाने में कामयाब होती है तो कुछ दिनों के लिए सत्र आगे बढ़ाया जा सकता है। बीजद, सपा, इनेलोद जैसे कुछ क्षेत्रीय दल संसद के कामकाज को बाधित करने के खिलाफ विचार व्यक्त कर चुके है। सरकार में एेसा मत है कि सुधारों से जुड़े जीएसटी को आगे बढाया जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस पहले ही इसका समर्थन कर चुकी है। सरकार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को अपने साथ लाने का प्रयास कर रही है।
अल्पकालिक नोटिस पर बुलाई जा सकती है सदन की बैठक
सूत्रों ने बताया कि संसद के दोनों सदनों को आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद इसका सत्रावसान नहीं करने की स्थिति में अल्पकालिक नोटिस पर इसकी बैठक फिर बुलाई जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 85 (2) में राष्ट्रपति को यह अधिकारी दिया गया है कि वे संसद के दोनों सदनों का सत्रावसान कर सकते हैं। अगर सदनों का सत्रावसान नहीं होता है और केवल अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाता है तब उसी सत्र की बैठक किसी भी समय फिर से बुलाई जा सकती है।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर लेना होगा फैसला
सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में जीएसटी पेश करने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था लेकिन प्रक्रियागत मुद्दों पर कांग्रेस के भारी विरोध के कारण उच्च सदन में इस पर चर्चा नहीं हो सकी। इसके अलावा सरकार को भूमि अध्यादेश पर भी निर्णय करना है जिसे पिछले महीने तीसरी बारी जारी किया गया था और जिसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है। भाजपा सांसद एस एस आहलुवालिया के नेतृत्व वाली संसद की संयुक्त समिति अध्यादेश के स्थान पर लाये जाने वाले भूमि विधेयक पर विचार कर रही है। अगर सरकार इस अध्यादेश को रिकार्ड चौथी बार जारी करना चाहेगी तब वह एक सदन के सत्रावसान करने की सिफारिश कर सकती है ताकि अध्यादेश को जीवंत रखा जा सके।