‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ के तर्ज पर एनडीए के सासंदों ने अपने 23 दिन के वेतन और भत्ते छोड़ने का फैसला किया है।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बुधवार को कहा कि संसद में गतिरोध की वजह से कामकाज नहीं होने के कारण एनडीए के सांसद 23 दिन के अपने वेतन और भत्ते का त्याग करेंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक अनंत कुमार ने कहा, " संसद में कामकाज नहीं होने की वजह से भाजपा-एनडीए सांसदों ने 23 दिन के वेतन और भत्ते नहीं लेने का निर्णय लिया है। यह पैसा लोगों की सेवा के लिए दिया जाता है और अगर हम ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो हमें पैसा लेने का कोई अधिकार नहीं है।”
बता दें कि संसद सदस्यों के विभिन्न विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों की वजह से सदनों की कार्यवाही में बार-बार रुकावटें देखी गई हैं।
कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद भी इसका बड़ा कारण रहा है। दोनों राज्यों के राजनीतिक दलों के सांसदों ने राज्यसभा में नियमित रूप से आंदोलन किया, जिसके कारण सदन अस्थायी रूप से स्थगित होता गया।
तेलुगू देश्ाम पार्टी (तेदेपा) के सांसदों द्वारा बार-बार विरोध प्रदर्शन और आंदोलन से भी दैनिक कार्यवाही अक्सर बाधित होती रही है।
इसी तरह, टीडीपी द्वारा नो-कॉन्फिडेंस प्रस्ताव ने भी बहुत बाधाएं पैदा की है।
कांग्रेस को दोषी ठहराते हुए कुमार ने कहा, "यह कांग्रेस की अलोकतांत्रिक राजनीति की वजह से है कि लोकसभा और राज्यसभा में काम नहीं होने दिया गया। हम सभी मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे सदनों की कार्यवाही नहीं होने दे रहे हैं।"