संसद के आज से शुरू हुए नए सत्र में दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना की जमकर आलोचना हुई। सांसदों ने इसे उन्हें अपमानित करने वाला ठहराते हुए आरोप लगाया कि इससे भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। सांसदों ने उन्हें छूट दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस योजना के कारण सांसदों को अपने कर्तव्य का पालने करने में परेशानी आ रही है। सरकार ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे पर उचित प्राधिकार से बातचीत करेगी।
राज्यसभा में यह मुद्दा सपा के नरेश अग्रवाल ने उठाया और कहा कि जिस प्रकार विभिन्न श्रेणियों के तहत छूट दी गई है उसी तरह सांसदों को भी इस योजना में छूट मिलनी चाहिए। उपसभापति पी जे कुरियन सहित कई सदस्यों ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया। अग्रवाल ने अरविंद केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार पर बरसते हुए योजना का उपहास उड़ाते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब ऐसे नियम बना दिए जाएंगे कि एक दिन इस नाम वाले व्यक्ति सड़कों पर चलेंगे जबकि दूसरे दिन अन्य नाम वाले व्यक्ति। एक दिन सिर्फ महिला सड़कों पर चलेंगी और एक दिन सिर्फ पुरूष ही सड़कों पर चलेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस नियम के कारण समितियों की कई बैठकें स्थगित की गईं। कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने भी कहा कि सांसदों को भी इस योजना में छूट मिलनी चाहिए।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने भी सम-विषम योजना पर व्यक्त किए गए विचारों का समर्थन किया और कहा कि इस योजना के कारण सांसदों को अपने कर्तव्य का पालन करने में बाधा आ रही है। जदयू के केसी त्यागी ने सांसदों के वाहनों को योजना के तहत छूट दिए जाने की मांग का समर्थन किया लेकिन कहा कि दिल्ली सरकार की इस योजना की आलोचना उचित नहीं है क्योंकि प्रदूषण के स्तर में कमी आई है और विदेशों में भी इस योजना की प्रशंसा की गई है। नकवी ने मजाकिया लहजे में कहा कि विपक्ष को पहले संसद चलने देना चाहिए। इस पर कुरियन ने भी हंसते हुए कहा कि व्यवधान पैदा करने के लिए भी तो उन्हें यहां आना होगा। कुरियन ने सदस्यों की भावना का समर्थन किया और कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि वह सांसदों को संसद में अपने कर्तव्य का पालन करने में मदद दे। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री को यह विषय दिल्ली सरकार के समक्ष उठाना चाहिए।