राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधित 123वां संविधान संशोधन बिल सोमवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया। लोकसभा इस बिल को पहले ही पारित कर चुकी है। इस तरह से इस संशोधन को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा में बिल पर मत विभाजन में इसके पक्ष में 156 मत पड़े पर विरोध में एक मत भी नहीं पड़ा। लोकसभा में यह बिल दो अगस्त को पारित हुआ था।
इस बीच, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के दशकों बाद भी विकास से वंचित देश के पिछड़े समाज को न्याय दिलाने का काम किया है। यह ऐतिहासिक विधेयक मोदी सरकार की पिछड़े वर्ग को विकास की पंक्ति में आगे लाने की उनकी कटिबद्धता को प्रमाणित करता है। विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर प्रधानमंत्री का हार्दिक आभार व अभिनंदन।
गौरतलबह है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें एवं पदावधि वही होगी जो राष्ट्रपति तय करेंगे। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति होगी।
1993 में गठित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अभी तक सिर्फ सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल करने या पहले से शामिल जातियों को सूची से बाहर करने का काम करता था। इस बिल के पारित होने के बाद संवैधानिक दर्जा मिलने की वजह से संविधान में अनुच्छेद 342 (क) जोड़कर प्रस्तावित आयोग को सिविल न्यायालय के समकक्ष अधिकार दिए जा सकेंगे। इससे आयोग को पिछड़े वर्गों की शिकायतों का निवारण करने का अधिकार मिल जायेग।