हालांकि अब एनडीए के लिए स्थितियां पहले के मुकाबले कुछ आसान जरूर होंगी क्योंकि अब अन्नाद्रमुक, बीजद और तृणमूल अगर किसी मुद्दे पर सरकार का समर्थन करें तो मनोनीत सदस्यों को मिलाकर वह सामान्य बहुमत के करीब तक पहुंच सकती है। हालांकि तब भी उसे कुछ सीटें कम पड़ेंगी।
ऊपरी सदन में क्षेत्रीय दलों के 89 सदस्य हो गए हैं। चुनाव के बाद उनकी संख्या में कोई परिवर्तन नहीं आया है। चार सीटों के फायदे के साथ समाजवादी पार्टी के अब 19 सदस्य हो गए हैं जबकि जदयू और राजद के संयुक्त सदस्यों की संख्या 12 है। तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के सदस्यों की संख्या 12-12 हो गई है जबकि बसपा के छह सदस्य, माकपा के आठ सदस्य, बीजद के 7 सदस्य और द्रमुक के 5 सदस्य हैं।
चुनाव के बाद 245 सदस्यीय राज्यसभा में राजग के सदस्यों की संख्या में 5 का इजाफा हुआ है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों की संख्या 74 हो गई है जबकि संप्रग के सदस्यों की संख्या में तीन सदस्यों की गिरावट दर्ज की गई है और कांग्रेस नीत गठबंधन की संख्या 71 हो गई है। तीन जून को ऊपरी सदन में 30 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए। राजग ने अपने कुल सदस्यों की संख्या में 11 सदस्य जोड़े थे जिसमें भाजपा के खाते में 7, तेदेपा ने 2 और शिवसेना एवं शिरोमणि अकाली दल में से प्रत्येक के एक-एक सदस्य आए। सदन में 12 मनोनीत सदस्य हैं।
ऊपरी सदन में संप्रग पांच सदस्यों को निर्विरोध निर्वाचित कराकर भेज पाया जिसमें कांग्रेस के चार सदस्य और राकांपा के एक सदस्य शामिल हैं। अन्य दलों में जदयू के 2, राजद के 2, अन्नाद्रमुक के 4, द्रमुक के 2 और बीजद के 3 सदस्य निर्विरोध चुने गए। कल 27 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की जिसमें हरियाणा से दो, उत्तर प्रदेश से एक, मध्य प्रदेश से दो, राजस्थान से चार, कर्नाटक से एक और झारखंड से दो सदस्य निर्वाचित हुए।
दूसरी ओर कांग्रेस छह सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही जिसमें से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से एक-एक और कर्नाटक से तीन सीटें शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की 11 सीटों में से सपा ने सात सीटों पर जीत दर्ज की जबकि बसपा ने दो तथा भाजपा एवं कांग्रेस ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की। गुजरात में कांग्रेस के वर्तमान सदस्य प्रवीण राष्ट्रपाल के निधन के कारण हुए राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की।