मोदी का यह बयान विपक्ष के इन आरोपों की पृष्ठभूमि में आया है कि देश में जो कोई भी सरकार या उसकी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाता है, उसको कुछ लोग राष्ट्रविरोधी करार देते हुए देश छोड़ने की सलाह देने लगते हैं।संविधान दिवस पर संविधान के प्रति प्रतिबद्धता जताने और डा बी आर अम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर राज्यसभा में तीन दिनों तक हुई चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने कहा, भारत के 125 करोड़ नागरिकों में से किसी की भी देशभक्ति पर शक करने का कोई कारण नहीं है और न ही कोई संदेह कर सकता है। हर समय किसी को अपनी देशभक्ति का सबूत देने की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री ने एकता का मंत्र देते हुए कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश में बिखरने के कई बहाने हो सकते हैं लेकिन जुड़ने के अवसर कम होते हैं। हमारा दायित्व है कि हमें जुड़ने के अवसर खोजने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें कभी-कभी पक्ष और विपक्ष से ऊपर उठकर निष्पक्ष होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी के खिलाफ अत्याचार होता है तो यह समाज और देश के लिए कलंक है। हमें इस पीड़ा को महसूस करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा फिर कभी नहीं हो। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश एकता और सौहार्द्र के जरिए ही आगे बढ़ सकता है। उन्होंने समानता और स्नेह पर जोर देते हुए कहा कि समानता और प्रेम में काफी शक्ति होती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के बीच भी काफी टकराव हो चुका है और देश की एकता को मजबूत करने के लिए उनके दिमाग में एक भारत, श्रेष्ठ भारत का विचार पनप रहा है। उन्होंने इस विचार का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत एक राज्य दूसरे राज्य का महोत्सव मना सकते हैं और एक दूसरे की भाषा सीख सकते हैं। हर बात को राजनीति से जोड़ने की प्रवृति को अस्वीकार करते हुए मोदी ने कहा कि देश तू तू मैं मैं से नहीं साथ चलने से ही बढ़ता है।
राज्यसभा में राजग का बहुमत नहीं है और सदन में कई विधेयक अटके हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस सदन से पक्ष विपक्ष का नहीं निष्पक्ष संदेश जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा को विशेष महत्व देते हैं। उन्होंने संस्कृत में एक श्लोक पढते हुए कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हो सकती जहां बुजुर्ग और अनुभवी लोग नहीं हों तथा राज्यसभा की अपनी विशिष्ट भूमिका है। लोकसभा एवं राज्यसभा के बीच सहयोग पर भी जोर देते हुए मोदी ने संविधान सभा के सदस्य गोपालस्वामी अयंगर की टिप्पणी को उद्धृत किया और रेखांकित किया कि किसी भी विवाद की स्थिति में लोकसभा का मत मान्य होगा। मोदी ने अयंगर को उद्धृत करते हुए कहा कि राज्यसभा को कानून बनाने में बाधक नहीं होना चाहिए। इस सदन के लिए इससे बड़ा दिशानिर्देश और कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि नेहरू ने भी दोनों सदनों के बीच आपसी सहयोग पर बल दिया था। यह महत्वपूर्ण है कि हमें इस सदन को कैसे चलाना चाहिए, यह काफी महत्वपूर्ण है। देश हमारी ओर देख रहा है।
लोकसभा में विधेयकों के पारित होने के बाद कई विधेयकों के राज्यसभा में अटके होने को लेकर उनकी यह टिप्पणी अहम है। मोदी ने आज सदन में अपने करीब 40 मिनट के जवाब में विपक्ष के प्रति दोस्ताना रवैया अपनाए रखा और दलगत राजनीति के मुद्दों से परहेज किया। उनके इस रवैए के पीछे उच्च सदन में जीएसटी सहित लंबित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराना हो सकता है।