Advertisement

'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक लोकसभा में पेश, विरोध में उतरा विपक्ष

संसद के शीतकालीन सत्र में आज दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही काफी अहम है। लोकसभा में आज...
'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक लोकसभा में पेश, विरोध में उतरा विपक्ष

संसद के शीतकालीन सत्र में आज दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही काफी अहम है। लोकसभा में आज केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की ओर से वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक पेश किया गया। बाद में इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को संदर्भित किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "'एक राष्ट्र एक चुनाव' देश के प्रगति के लिए है। 5 साल में एक बार चुनाव होगा। पहले भी ऐसे ही था। 1952 से पहले बहुत दशकों तक चुनाव ऐसे ही होते थे। कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का उपयोग करके विधानसभा को भंग किया..इस पर बात करें लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है।"

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा विधेयक पेश किए जाने के बाद वह लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को संदर्भित करने का निवेदन करेंगे। समिति का गठन विभिन्न पार्टियों के सांसदों की संख्या के आधार पर आनुपातिक रूप से किया जाएगा।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भाजपा ने अपने तमाम सांसदों को संसद में मौजूद रहने के लिए तीन लाइनों का व्हिप जारी किया था। इस बिल को कॉन्स्टिट्यूशन (129 संशोधन) बिल 2024 नाम दिया गया है। अगर यह बिल कानून की शक्ल ले लेता है तो पूरे देश में लोकसभा, विधानसभा और उम्मीद है कि स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ होंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिल पेश किए जाने के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है। अमित शाह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुआई वाली हाई लेवल कमेटी का हिस्सा थे, जिसने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी।

 

बता दें कि वन नेशन, वन इलेक्शन का विधेयक पिछले काफी समय से सत्तारूढ़ बीजेपी के एजेंडे में है। इसे पूरा करने के मकसद से केंद्र सरकार ने 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है।

 

वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए बनी कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल थे। इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर क़ानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. नितेन चंद्रा समिति में शामिल थे।

क्यों खास है यह बिल?

यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव रखता है। इसके साथ ही, अर्जुन मेघवाल केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के लिए एक और विधेयक भी पेश कर सकते हैं। यह विधेयक दिल्ली,जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के लिए आवश्यक बदलाव की बात करता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad