गुरुवार को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक से पहले विपक्षी गठबंधन INDIA ने बड़ा कदम उठाने का मन बनाया है। विपक्षी गठबंधन इस बैठक का बहिष्कार कर सकता है। माना जा रहा है कि मणिपुर मुद्दे पर निरंतर पीएम मोदी के बयान की मांग कर रहे विपक्ष का यह एक और पैंतरा हो सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने उक्त जानकारी साझा की है। बता दें कि राज्यसभा बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के 11 सदस्यों में से एक उपराष्ट्रपति हैं, जो इसके पदेन अध्यक्ष के रूप में शामिल हैं। वहीं, इस कमेटी में INDIA गठबंधन के तीन सांसद भी शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस, राजद और टीएमसी का एक एक सांसद है।
सूत्रों का कहना है कि विपक्ष किसी ऐसे व्यक्ति को बैठक में "पर्यवेक्षक" के रूप में भेज सकता है, जो सदस्य नहीं है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि "पर्यवेक्षक" को बैठक में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। 20 जुलाई को कई विपक्षी नेता बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक से बाहर चले गए थे।
विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी द्वारा मणिपुर मुद्दे पर सदन में बयान नहीं दिए जाने और केंद्र द्वारा दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर एक अध्यादेश के न्यायाधीन होने के बावजूद उसे बदलने के लिए एक विधेयक लाने के विरोध में यह कदम उठाया था।
कांग्रेस और वाम दल, टीएमसी, डीएमके, राजद, राकांपा और आप सहित अन्य विपक्षी दलों के नेता बैठक से बाहर चले गए क्योंकि सभापति द्वारा लिखित रूप में उनका विरोध दर्ज नहीं कराया गया था। बुधवार को कांग्रेस ने पूरे विपक्षी गठबंधन INDIA की तरफ से लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा था, जिसे स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया।
गौरतलब है कि विपक्षी ने पीएम मोदी से सदन में आकर मणिपुर मुद्दे पर बात करने की मांग की है, जहां जातीय हिंसा में अबतक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।