लोकसभा में विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि देश में कोविड के टीकाकरण की प्रक्रिया ठीक तरह से नहीं चल रही है और अब तक बहुत कम लोगों को टीका लगा है लेकिन सरकार अपने लोगों की अनदेखी कर विदेशों में कोविड का टीका भेज कर वाहवाही लूट रही है।
लोकसभा में कांग्रेस के मनीष तिवारी ने बुधवार को वर्ष 2021-22 के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश में टीकारण की प्रक्रिया को लापरवाही ठीक तरह से नहीं चल रही है। लोग कोराना का एक ही टीका ले रहे हैं जबकि दूसरे टीके में कई लोग नदारत हैं। इससे कोरोना नहीं रुकेगा और टीकाकरण का भी कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
उन्होंने कहा कि कोविड के टीकाकरण में भी सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है इसलिए टीकाकरण की प्रक्रिया ठीक तरह से नही चल रही है। उनका कहना था कि देश की आबादी के हिसाब से अभी दतक हमारे यहां महज 0.045 फीसदी लोगों का टीकाकरण हुआ है जबकि पांच करोड टीके विदेशों को दिए गये हैं। इसका मतलब है कि सरकार अपने लोगों की जान पर खेलकर टीका कूटनीति को महत्व दे रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वास्थ्य मिशन पर सरकार कम ध्यान दे रही है। उनका कहना था कि पिछले साल के बजट में इसके लिए जो राशि आवंटित की गयी थी उसके मुकाबले इस साल कम रािश का इस योजना के लिए आवंटन हुआ है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी ने एक साल के दौरान में सिखाया है कि कुदरत के मायाजाल के सामने किसी की नहीं चलती है।
जनता दल यू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी है और इसको लेकर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को पिदले साल पहल मामला आया और सरकार ने इस तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी थी इसमें कहीं देरी नहीं हुई। श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया था और लोगों में कोरोना को लेकर जागृति पैदा की थी जिसके कारण महामारी का प्रभाव कुछ कम हो सका तथा लोगों में जागरूकता पैदा हुई है।
उन्होंने कहा कि देश के सभी राजनीतिक दलों का दायित्व है कि वे लोगों में कोरोना को लेकर डर पैदा नहीं करें बल्कि लोगों को कोरोना से बचाव की जानकारी दें और कोरोना को रोकने में अपना सहयोगा दें। उनका कहना था कि भारत ने कोरोना को हराने में जो उपलब्घि हासिल की है उसका संदेश दुनिया में जाना चाहिए और यह संदेश देने की हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।