लोकसभा में स्वच्छ भारत मिशन लागू करने के बारे में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन इस बारे में चर्चा कर सकता है कि स्वच्छता अभियान के लिए सांसद निधि का उपयोग किया जा सकता है या नहीं। इसका कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया और कहा कि वह ऐसे किसी पहल की अनुमति नहीं देंगे।
वेंकैया ने हालांकि कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है और उनका बयान केवल एक सुझाव है। इससे पूर्व भाजपा के किरीट सोमैया ने अपने पूरक प्रश्न के जरिय सरकार से जानना चाहा था कि स्वच्छता अभियान के लिए सांसद निधि का उपयोग किया जा सकता है या नहीं। नायडू ने कहा, इस बारे में फैसला सांसद क्षेत्रीय विकास निधि संबंधी सांसदों की समिति को करने दें।
उल्लेखनीय है कि सांसदों को अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए प्रति वर्ष पांच करोड़ रूपये मिलते हैं। मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन एवं इसके विभिन्न तत्वों को लागू करने के लिए 62,009 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत आंकी गई है। केंद्र सरकार 14,623 करोड़ रूपये का योगदान कर रही है। वेंकैया नायडू ने कहा कि केंद्रीय वित्तपोषण के 25 प्रतिशत की राशि जो 4,874 करोड़ रूपये बनती है, उसे शहरी निकायों के रूप में राज्य योगदान करेंगे।
पूर्वोत्तर एवं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के लिए यह 10 प्रतिशत है। वेंकैया नायडू ने कहा कि शेष राशि निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी, राज्य सरकारों के अतिरिक्त स्रोत, कारपोरेट सामाजिक जवाबदेही, स्वच्छ भारत कोष एवं अन्य माध्यमों से जुटाई जाएगी। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है जिसके तहत अगले पांच वर्षों में शहरी स्थानीय निकायों को 87,143.8 करोड़ रूपये देने की बात कही गई है।
यह 13वें वित्त आयोग की तुलना में शहरी स्थानीय निकायों को 600 प्रतिशत अधिक आवंटन है। वेंकैया ने कहा कि नए शहरी पुनर्जीवन मिशन के तहत कई तरह के सुधारों के साथ शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने का प्रस्ताव किया गया है जिससे उनकी वित्तीय क्षमता भी बढेगी।