विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े आर्थिक अपराधियों को देश से भागने और कानूनी प्रक्रिया से बचने की कोशिश करने पर नकेल कसने के लिए बने भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को संसद ने पास कर दिया। बुधवार को राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक लोकसभा में 19 जुलाई को ही पास हो चुका है। यह विधेयक भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 के स्थान पर लाया गया है।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सदन में इस पर चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक उद्देश्य भगोड़े आर्थिक अपराधियों को स्वदेश लाना और भविष्य में इस तरह की अपराध कर देश छोड़ कर भागने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है। उन्होंने कहा कि इसमें 100 करोड़ रुपये का स्तर इसलिए बनाया गया है ताकि इसके तहत बनने वाली विशेष अदालत में त्वरित और निर्धारित समयावधि में कार्रवाई हो सके। एक बार भगोड़ा आर्थिक अपराधी विशेष अदालत में पेश हो जाएगा तो फिर उसके विरूद्ध अन्य संबंधित कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि पूर्व में देश छोड़कर भाग चुके आर्थिक अपराधी भी इस कानून के दायरे में आएंगे क्योंकि विधेयक के उपबंध तीन में कहा गया है कि इस कानून के अस्तित्व में आने के दिन जो भी व्यक्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी है या भविष्य में भगोड़ा आर्थिक अपराधी बनता है उस पर यह कानून लागू होगा।
इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जाएंगी। यह विधेयक भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों की अधिकार क्षेत्र से बाहर रहते हुए भारत की कानूनी प्रक्रिया से बचने से रोकेगा।