पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया अगर कानूनी तौर पर स्वीकार्य हुआ तो कार्रवाई क्यों नहीं की जाएगी। संवाददाताओं ने उनसे पूछा था कि क्या पार्टी विशेषाधिकार समिति के पास जाने पर विचार कर रही है।
सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कल कई झूटे और भ्रामक बयान दिए और दावा किया कि कांग्रेस नीत सरकार ने वाजपेयी के नेतृत्व में बनी पहली राजग सरकार के कई कार्यक्रमों की नकल की है। सिंघवी स्वयं उच्च सदन के सदस्य हैं।
कुछ उदाहरणों का जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग के विचार, योजनाएं 1998 के पहले के हैं जब राजग पहली बार सत्ता में आया था।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने 1999 के अपने घोषणापत्रा में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के साथ बहुद्देशीय पहचान पत्रों की बात की थी और वर्ष 2009 के घोषणापत्र में भी उसने इसे दोहराया। लेकिन कार्ड अब आधार कार्ड के तौर पर जाना जाता है और वर्ष 2004 में संप्रग सरकार के घोषणापत्रा में सूचीबद्ध होने के बाद यह एक हकीकत बन गया। वर्ष 2007 से ये कार्ड वितरित किए जा रहे हैं।
सिंघवी ने सवाल किया क्या प्रधानमंत्री का सदन को गुमराह करना उचित है ? क्या वह सत्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं ?
उन्होंने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान भले ही वाजपेयी सरकार ने शुरू किया होगा लेकिन वास्तव में यह कांग्रेस सरकार द्वारा 1993-94 में शुरू किया गया जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम था। बाद में कांग्रेस सरकार ने शिक्षा का संवैधानिक अधिकार दिया।