लोकसभा में अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार की सुबह सदन की बैठक शुरू होने के साथ कहा कि आज से 74 वर्ष पूर्व 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो का आह्वान कर ब्रिटिश शासन से देश को मुक्त करने के लिए पूरे राष्ट्र को एक साथ खड़े होने की प्रेरणा दी थी। उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष के निर्णायक क्षणों में से एक था जिसने हमारे राष्ट्र की स्वतंत्रता और स्वराज को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। महाजन ने कहा कि इस अवसर पर हम राष्ट्रपिता और उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष में अपने जीवन की आहूति दी, मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हम उनके उच्च आदर्शों के प्रति स्वयं को पुन: समर्पित करते हैं। इसके बाद सदन ने कुछ क्षण के लिए मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
वहीं राज्यसभा में भी आज स्वतंत्रता आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और उनके सम्मान में सदस्यों ने कुछ क्षणों का मौन रखा। सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति हामिद अंसारी ने भारत छोड़ो आंदोलन के 74 साल पूरा होने का जिक्र किया। उन्होंने इस दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि महात्मा गांधी के करो या मरो आह्वान से राष्ट्रवादी भावना को बल मिला और आजादी का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने कहा कि इस पवित्र अवसर पर हम उन शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी तथा देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक कष्ट सहे। अंसारी ने कहा, यह दिन हमें उन बहादुर पुरूषों और महिलाओं द्वारा दी गई आजादी के उपहार को सराहने का दिन है तथा अपने देश की संप्रभुता, अखंडता, एकता एवं विविधिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का भी दिन है। उसके बाद सदस्यों ने शहीद स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में कुछ क्षणों का मौन रखा।