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मंगलवार से शुरु हो रहा बजट सत्र हो सकता है हंगामेदार

संसद के कल से शुरू हो रहे बजट सत्र के काफी हंगामेदार रहने के संकेत हैं। सत्र शुरू होने से पहले आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने सरकार पर व्यवधान का एजेंडा तय करने का आरोप लगाया जबकि सरकार ने कहा कि वह जेएनयू समेत सभी मुद्दों पर सदन में चर्चा कराने को तैयार है। हालांकि बैठक के बाद उसे सकारात्मक बताते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सभी दल इस पक्ष में थे कि संसद में कामकाज होना चाहिए।
मंगलवार से शुरु हो रहा बजट सत्र हो सकता है हंगामेदार

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को महज औपचारिकता करार देते हुए विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की और कहा कि भाजपा ने उकसाने वाले बयान देने वाले एक भी नेता के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इसके साथ ही विपक्ष ने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के विषय पर गेंद सरकार के पाले में डाल दी। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच पहला मुलकाबला 24 फरवरी को राज्यसभा में देखने को मिल सकता है जहां जेएनयू का मुद्दा चर्चा के लिए आ सकता है। विपक्षी दल जहां इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, वहीं भाजपा महसूस करती है कि उसे इस मुद्दे को देशभक्त और देशद्रोही के बीच बहस का विषय बनाने से फायदा हो सकता है।

 

विपक्ष ने एक तरह से स्पष्ट कर दिया है कि बजट सत्र के पहले भाग में वह किसी महत्वपूर्ण विधेयक को पारित नहीं होने देगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्ष केवल महत्व के आधार पर उन विधेयकों को पारित करने की अनुमति देगी जिस पर आम सहमति है। खड़गे ने कहा, विवादित विधेयकों को नहीं लाया जाना चाहिए। केवल ऐसे विधेयकों को लाएं जिस पर आम सहमति है। जीएसटी जैसे विधेयक सत्र के पहले भाग में नहीं लाए जाने चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी विधेयक सत्र के दूसरे हिस्से में पारित हो सकता है, उन्होंने सीधा कोई जवाब देने से बचते हुए कहा कि इस बारे में तब विचार किया जाएगा।

 

ऐसे समय में जब सरकार गैर कांग्रेस और गैर वामदलों से अलग से संवाद कर रही है तब वेंकैया ने कहा कि कई क्षेत्रीय दल महसूस करते हैं कि सदन में व्यवधान के कारण उन्हें मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है। सरकार जेएनयू, हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधार्थी की आत्महत्या समेत सभी मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है। उन्होंने कहा, इनमें जाटों के आरक्षण की मांग, जेएनयू घटनाक्रम और दिल्ली की अदालत से जुड़े घटनाक्रम, दलित शोधार्थी की आत्महत्या, अरूणाचल प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़े विषय शामिल हैं। सरकार को इन विषयों की उतनी ही चिंता है जितनी किसी अन्य पार्टी को और वह इन सभी पर विस्तृत चर्चा कराने को उत्सुक है। संसदीय कार्य मंत्री ने जीएसटी जैसे विधेयकों को पारित कराने की सरकार की उत्सुकता भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है और रियल इस्टेट विधेयक राज्य सभा में लंबित है। ये दोनों महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराना व्यापक हित में है। सरकार का मानना है कि अब समय आ गया है कि इन विधेयकों को आगे बढ़ाया जाए।

 

वहीं संसद में कामकाज नहीं होने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार विपक्ष की ओर से भाजपा नेताओं के विवादास्पद बयानों के बारे में उठाए गए किसी भी विषय पर कार्रवाई करने में विफल रही है। उन्होंने कहा, अगर सरकार कार्रवाई करने में असहाय महसूस करती है तब उसे विपक्षी दलों की एक समिति को उनके खिलाफ कार्रवाई करने को अधिकृत करना चाहिए। संसद में व्यवधान के लिए सरकार को जवाबदेह ठहराते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार ऐसे लोगों पर लगाम लगाने में विफल रही। माकपा महासचिव सीताराम येचूरी ने देश की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, सरकार ने सत्र शुरू होने से पहले ही संसद के कामकाज में व्यवधान का एजेंडा तय कर दिया है। हम पिछले तीन-चार सत्रों से भाजपा के इस एजेंडे को देख रहे हैं। सरकार ने देश में एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जो व्यवधान के लिए जिम्मेदार है। वहीं तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि संसद में सुचारू रूप से कामकाज चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है। हालांकि बैठक के बाद बहरहाल, वेंकैया ने कहा कि बैठक काफी सकारात्मक रही और सभी दल इस पक्ष में थे कि संसद में कामकाज होना चाहिए।

 

 

 

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