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सदन की कार्यवाही से अपनी टिप्पणियां हटाए जाने को स्वामी ने दी चुनौती

राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सदन की कार्यवाही से अपनी टिप्पणियों को उप सभापति द्वारा हटाए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने कार्यवाही से अपनी टिप्पणी को हटाए जाने के फैसले को मनमाना, अनुचित और सदन के नियमों के खिलाफ बताया है।
सदन की कार्यवाही से अपनी टिप्पणियां हटाए जाने को स्वामी ने दी चुनौती

राज्यसभा में तीन दिन पहले मनोनीत सांसद स्वामी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, मैंने उप सभापति द्वारा मेरे शब्दों को कार्यवाही से हटाए जाने को चुनौती देते हुए राज्यसभा में एक नोटिस दायर किया है क्योंकि यह मनमाना, अनुचित और राज्यसभा के नियमों के खिलाफ है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने  कहा, मैं राज्य सभा में यह झूठ कहने के लिए गुलाम नबी आजाद के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही की आज मांग करूंगा कि संप्रग ने फिनमेकेनिका को काली सूची में डाल दिया था। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया कि संप्रग सरकार ने अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाॅप्टरों की निर्माता कंपनी फिनमेकेनिका को काली सूची में डाल दिया था, जो कि एक झूठ है। सदन में यह झूठ बोलने के लिए वह उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही की मांग करेंगे। स्वामी ने अल्पसंख्यक संस्थान के मामले पर बोलते हुए कल कांग्रेस सदस्यों को निशाना बनाया था और कुछ टिप्पणियां की थीं जिन्हें राज्यसभा के उपसभापति पी जे कुरियन ने विपक्ष के सांसदों के जोरदार विरोध के बाद कार्यवाही से हटा दिया था। कुरियन ने स्वामी से कहा था कि वह बेवजह दूसरे पक्ष को उकसा रहे हैं और उन्होंने सांसद को ऐसा नहीं करने को कहा था।

 

संसद में एक मनोनीत सदस्य के रूप में प्रवेश करने के बाद से स्वामी द्वारा कांग्रेस पर निशाना साधने का सदन में कई बार विरोध हुआ है और आसन ने उनकी कुछ टिप्पणियों को सदन से हटा दिया है जिनमें से अधिकतर टिप्पणियां कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को निशाना बनाकर की गई थीं। आजाद ने कल कहा कि स्वामी को इस सदन में आए गिने-चुने दो दिन ही हुए हैं और उनकी टिप्पणियां पहले ही दो बार कार्यवाही से निकाली जा चुकी हैं। उन्होंने आसन से सवाल किया एक साल में 365 दिन होते हैं, आप कितनी बार उनकी टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाते रहेंगे। सदन में विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि स्वामी सड़कछाप भाषा और संसदीय भाषा में अंतर नहीं जानते।

 

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