वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, समिति ने यह पाया है कि सरकार ने 2015-16 में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के आवंटन में कटौती की। इसका कारण मेक इन इंडिया जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों के लिए वित्त पोषण है।
हालांकि औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग दिसंबर, 2015 तक बजटीय अनुमान का केवल 40 प्रतिशत ही उपयोग कर सका। रिपोर्ट के अनुसार समिति यह मानती है कि विभाग को उपलब्ध कोष का समयबद्ध तरीके से प्रभावी रूप में उपयोग करना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि योजना के तहत दिसंबर, 2015 तक 40 प्रतिशत व्यय मेक इन इंडिया के लिए निवेश संवर्धन को लेकर किया गया। यह भारत को एक निवेश गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने की तैयारी एवं रूपरेखा की कमी को प्रतिबिंबित करता है।
रिपोर्ट के अनुसार मेक इन इंडिया अभियान के तहत खर्च के लिए 284 करोड़ रुपये दिए गए और ये खर्च छोटे मद विज्ञापन एवं जनसंपर्क के अंतर्गत थे।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    