लोकसभा में आज पेश की गई 'कैश फॉर क्वेरी' में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा को शुक्रवार को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। महुआ मोइत्रा को सदन के अंदर चर्चा के दौरान बोलने की इजाजत नहीं दी गई। उन्होंने सदन के बाहर भाजपा पर कई बड़े आरोप लगाते हुए कहा कि यह बीजेपी के अंत की शुरुआत है।
टीएमसी सांसद के रूप में अपने निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, "एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने की कोई शक्ति नहीं है। यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है। अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अडानी मुद्दे को खत्म कर देंगे, तो मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू अदालत ने जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग कर के दिखाया है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है। और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे।"
#WATCH | "The Ethics Committee has no power to expel....This is the beginning of your(BJP) end," says Mahua Moitra after her expulsion as TMC MP. pic.twitter.com/WZsnqiucoE
— ANI (@ANI) December 8, 2023
महुआ मोइत्रा ने कहा, "इस लोकसभा ने एक संसदीय समिति का हथियारीकरण भी देखा है। विडंबना यह है कि आचार समिति की स्थापना सदस्यों के लिए नैतिक दिशा-निर्देश के रूप में की गई थी। इसके बजाय, आज वही करने के लिए इसका घोर दुरुपयोग किया जा रहा है जो इसे कभी नहीं करना था। जिसका उद्देश्य विपक्ष को कुचलना और हमें घुटने टेकने के लिए 'ठोक दो' का एक और हथियार बनना है।"
उन्होंने कहा, "निष्कर्ष पूरी तरह से दो निजी नागरिकों की लिखित गवाही पर आधारित हैं, जिनके संस्करण भौतिक दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं, जिनमें से किसी को भी मुझे प्रतिपरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी गई थी। दो निजी नागरिकों में से एक मेरा बिछड़ा हुआ साथी है जो दुर्भावनापूर्ण इरादे से समिति के सामने एक आम नागरिक के रूप में पेश आया। मुझे फांसी देने के लिए दो गवाहियों का इस्तेमाल किया गया है, वे एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं।"
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, " जिसने आरोप लगाया उसके बयान के आधार पर फैसला लिया गया। यह न्याय की स्वाभाविक प्रक्रिया के ख़िलाफ़ है।" आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा, "हर कोई जानता है कि वह अडानी और पीएम पर जोरदार हमला करती रही हैं और यही कारण है कि उन्हें बिना किसी उचित कारण के निष्कासित कर दिया गया है।"
टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, "उन्होंने हमें बोलने नहीं दिया। उन्होंने लोकतांत्रिक परंपरा को खत्म करने की कोशिश की। इस पर INDIA गठबंधन की पार्टियां एक साथ आईं।" कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''यह आधारहीन तथ्यों के आधार पर और बदले की भावना से किया गया है।''
लोकसभा में टीएमसी सांसद को निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्ष ने वॉकआउट किया। इसके बाद सदन को 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन कहा, "यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए, उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है।"
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद के 'अनैतिक आचरण' की जांच करने वाली आचार समिति की रिपोर्ट ने सिफारिश की थी कि मोइत्रा को लोकसभा से "निष्कासित किया जा सकता है" और केंद्र सरकार द्वारा "समयबद्ध तरीके से गहन, कानूनी, संस्थागत जांच" की मांग की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया, "महुआ मोइत्रा के गंभीर दुष्कर्मों के लिए कड़ी सजा की जरूरत है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि सांसद महुआ मोइत्रा को सत्रहवीं लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किया जा सकता है।"